
इंडिया फर्स्ट न्यूज़ ब्यूरो | बलरामपुर। छत्तीसगढ़ सरकार कुपोषण के प्रति तरह-तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन बलरामपुर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. बाड़ी चलगली गांव में पिछले 10 महीनों से आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को बांटे जाने वाला ‘रेडी टू ईट’ गोदाम में सड़ने के लिए फेंक दिया गया है. उसमें कीड़े लग गए हैं. तस्वीरें यह लापरवाही बयां करने के लिए काफी है कि कुपोषण को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम कितनी सजग है | हैरानी की बात तो यह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर में यह पूरा रेडी टू ईट गोदाम में सड़ने को फेंक दिया गया है. महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर गांव में महज खानापूर्ति के लिए कभी-कभी जाती है. बलरामपुर के दूरस्थ इलाके में मौजूद इस गांव में कुपोषण के प्रति शासन-प्रशासन की अभियान पहली सीढ़ी में ही फेल है | दरअसल अक्टूबर 2020 से ही बाड़ी चलगली गांव के पटेलपारा में किसी भी बच्चों को रेडी टू ईट का वितरण नहीं किया गया है. जब से कोरोनाकाल शुरू हुआ, तब से यहां के बच्चे रेडी टू ईट खाने से वंचित हैं. लेकिन विभाग के दस्तावेजों में हर महीने रेडी टू इट बांटा जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर में अक्टूबर 2020 से ही रेडी टू ईट का स्टॉक पड़ा है. इसमें कीड़े भी लग चुके हैं. सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह यहां पर विभाग के सुपरवाइजर पर लगता है, क्योंकि यह कभी-कभी महज कोराम पूरा करने ही गांव में जाती है|
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर में सड़ रहा पौष्टिक आहार :
हैरानी की बात तो यह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर में यह पूरा रेडी टू ईट गोदाम में सड़ने को फेंक दिया गया है. महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर गांव में महज खानापूर्ति के लिए कभी-कभी जाती है. बलरामपुर के दूरस्थ इलाके में मौजूद इस गांव में कुपोषण के प्रति शासन-प्रशासन की अभियान पहली सीढ़ी में ही फेल है. दरअसल अक्टूबर 2020 से ही बाड़ी चलगली गांव के पटेलपारा में किसी भी बच्चों को रेडी टू ईट का वितरण नहीं किया गया है. जब से कोरोनाकाल शुरू हुआ, तब से यहां के बच्चे रेडी टू ईट खाने से वंचित हैं. लेकिन विभाग के दस्तावेजों में हर महीने रेडी टू इट बांटा जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर में अक्टूबर 2020 से ही रेडी टू ईट का स्टॉक पड़ा है. इसमें कीड़े भी लग चुके हैं. सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह यहां पर विभाग के सुपरवाइजर पर लगता है, क्योंकि यह कभी-कभी महज कोराम पूरा करने ही गांव में जाती है.
मवेशियों को क्यों नहीं खिलाया ? :- यह मामला जब प्रकाश में आया, तब यह भी खुलासे हुए की सुपरवाइजर द्वारा कुपोषण दूर भगाने के लिए वितरित किए गए अंडे की राशि वाले बिल को पास करने के लिए भी कमीशन की डिमांड की जाती है. रेडी टू ईट का मामला जब मीडिया के संज्ञान में आया, तो सुपरवाइजर ने समूह के सदस्य को यह कहा है कि गाय बैल को रेडी टू ईट क्यों नहीं खिला दिए घर में क्यों रखे हो |