
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार अफगानिस्तान में तालिबान को बढ़ावा देने को लेकर पूरी तरह घिरती जा रही है। पाकिस्तान में मौजूद पश्तूनों ने अब इमरान खान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पश्तून सड़कों पर उतरकर इमरान खान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पश्तून अफगानिस्तान का खुल कर समर्थन कर रहे है। पश्तून तहफूज मूवमेंट (पीटीएम) के सदस्य पिछले कुछ हफ्तों से कई प्रक्षेत्रों में अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मूवमेंट के सदस्य तालिबान का जमकर विरोध कर रहे हैं और अफगानी सरकार को समर्थन देने की बात कह रहे हैं। थाइलैंड की ‘Haiger media’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पीटीएम ने पाकिस्तान के नॉर्थवेस्ट इलाके में अपनी अच्छी पैठ बनाई है। पीटीएम देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने को लेकर भी इमरान खान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है।
पाकिस्तान में नॉर्थवेस्टर्न क्षेत्र के पश्तून मानते हैं कि अफगानिस्तान की खराब होती हालत के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। उनका यह भी मानना है कि आतंकवादी संगठनों के पीछे इस्लामाबाद का सपोर्ट है। उनका मानना है कि इस्लामाबाद में बैठी सरकार लंबे समय से आतंकवादियों का समर्थन कर रही है और अब तालिबान में आतंकवादियों को हथियार और अन्य सपोर्ट मुहैया करा रही है। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक पीटीएम के सदस्य तालिबान और इस्लामाबाद पर यह भी आरोप लगा रहे हैं कि उनके क्षेत्र में भी आतंकवादी गतिवधियों के पीछे तालिबान और इस्लामाबाद का ही हाथ है।
इस संगठन के सदस्यों का कहना है कि हिंसा से कभी शांति नहीं आ सकती है। हाल ही में इन लोगों ने चरसाडा में एक बैठक भी थी। इस बैठक में अफगानिस्तान में सुरक्षा हालात को लेकर चर्चा की गई थी। बता दें कि यह जगह खैबर पख्तूनख्वाह प्रक्षेत्र में स्थित है। पश्तूनों ने अफगानी सुरक्षा कर्मियों पर तालिबानी कार्रवाई की निंदा करने के साथ-साथ यूएस-दोहा डील की भी निंदा की है। उनका मानना है कि इस डील से आतंकवादियों को कानूनी मान्यता मिलती है। उन्हें इस बात का भी डर है कि यह आतंकवादी संगठन नॉर्थवेस्टर्न क्षेत्र पर भी जल्द ही हमला कर सकते हैं और इसका व्यापक असर पड़ेगा।
आपको बता दें कि इस्लामाबाद के खिलाफ बोलने पर कई बार पश्तून एक्टिविस्टों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पिछले हफ्ते आवामी नेशनल पार्टी के नेता मलिक उबेदुल्लाह की डेड बॉडी ब्लूचिस्तान के पिसिन जिले में मिला था। उनके हाथ बंधे हुए थे। ब्लूचिस्तान में राजनीतिक एक्टिवस्टिों, छात्रों और अन्य बुद्धिजीवियों का अचानक लापता हो जाना आम बात हो चुका है। बताया जा रहा है कि यहां पाकिस्तानी सेना ने अपने आलोचकों के दमन की कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले महीने पश्तून नेता मोहम्मद खान अछाखजई ने इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार से कहा था कि वो अफगानिस्तान में स्थिरता कायम करने के लिए वहां युद्ध को समर्थन देना बंद करे। यह देश में शांति बनाए रखने में काफी कारगर होगा।