पेगासस केस: सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सख्त सवाल पर सॉलिसिटर जनरल बोले- सरकार नहीं दाखिल करना चाहती हलफनामा

CJI एनवी रमन्ना ने केंद्र से कहा कि आपने पिछली सुनवाई में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा था और अब आप दूसरी बात कर रहे हैं.

 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने देश में कुछ विशिष्ट लोगों की इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित रूप से जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की. केंद्र ने इससे पूर्व मामले में संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार का मानना है कि ऐसे मामलों पर बहस नहीं होनी चाहिए. SG ने कहा कि याचिकाओं में जांच कि मांग की गई है. यह मुद्दा अहम है और सरकार ने एक समिति गठित की है.

इस पर CJI ने कहा कि आपने पिछली सुनवाई में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा था और अब आप दूसरी बात कर रहे हैं. CJI की इस टिप्पणी पर SG ने कहा कि केंद्र सरकार का स्टैंड यह है कि किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं, यह एक हलफनामे या अदालत या सार्वजनिक रूप में बहस का विषय नहीं हो सकता, क्योंकि इस मुद्दे के अपने नुकसान हैं. सुनवाई के दौरान जज जस्टिस सूर्यकांत ने कहा ‘पिछली बार हमने स्पष्ट किया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी की दिलचस्पी नहीं है. हम आपसे केवल यही सीमित हलफनामा दाखिल करने की उम्मीद कर रहे थे. हमारे सामने ऐसे नागरिक हैं जो अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं.’

केंद्र सरकार हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती- SG
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती है. हम इसे व्यापक जनहित और राष्ट्र की सुरक्षा में एक हलफनामे में नहीं रखना चाहेंगे. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये सभी मुद्दे अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले नागरिकों के वर्ग तक सीमित हो सकते हैं. CJI ने कहा कि हम फिर दोहरा रहे हैं कि सुरक्षा या रक्षा से जुड़े मामलों को जानने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है. हम केवल चिंतित हैं, जैसा कि मेरे साथी ने कहा, हमारे सामने पत्रकार, कार्यकर्ता आदि हैं.. यह जानने के लिए कि क्या सरकार ने कानून के तहत स्वीकार्य के अलावा किसी अन्य तरीके का इस्तेमाल किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के नागरिक अधिकार का उल्लंघन किया गया या नहीं. मसला तो सीमित है. हम यह मानते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा इसका अलग भाग है. सीजेआई ने कहा कि हमारी चिंता सरकार पर लगे आरोप को लेकर है.

 

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