भेदभाव और पुलिस सिस्टम की कहानी बयां करती है ‘जय भीम’, सूर्या की परफॉर्मेंस ने जीता दिल

इंडिया फ़र्स्ट ।

  • फिल्म: जय भीम
  • निर्देशक: टी. जे. ज्ञानवेल
  • कास्ट: सूर्या, प्रकाश राज, राव रमेश, रजीशा विजयन, मणिकंदन और लीजोमोल जोस
  • ओटीटी: अमेजन प्राइम वीडियो
क्या है कहानी

‘जय भीम’ इरुलुर आदिवासी समुदाय के एक जोड़े सेंगगेनी और राजकन्नू की कहानी है। राजकन्नू को झूठे आरोप में पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और इसके बाद वह पुलिस हिरासत से लापता हो जाता है। ऐसे में उसकी पत्नी उसकी तलाश के लिए वकील चंद्रू (सूर्या द्वारा निभाया गया किरदार) का सहारा लेती है। बता दें कि यह फिल्म 90 के दशक में तमिलनाडु में हुई सच्ची घटनाओं पर आधारित है।

पहला सीन ही रोक लेता है नजर

‘जय भीम’ अपने पहले ही सीन से दर्शकों का ध्यान खींचने में कामयाब होती है। पहले सीन में दिखता है कि कुछ लोग लोकल जेल से बाहर निकले हैं और उनका परिवार बाहर इंतजार कर रहा है। बाहर निकल रहे लोगों को उनकी कास्ट पूछकर रोका जाता है और जो निचली कास्ट के होते हैं, उन्हें फिर से किसी पुराने केस में आरोपी बनाकर पुलिस को सौंप दिया जाता है।  ‘जय भीम’, सूर्या के करियर की सबसे अहम फिल्मों से एक बन गई है। इस फिल्म की सबसे खास बात है, इसे पेश करने का अंदाज। फिल्म में सिर्फ हीरो(सूर्या) पर ही फोकस नहीं किया गया है, बल्कि सच्ची घटना के हिसाब से अन्य किरदारों पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। इसमें यह दिखाया गया है कि न्यायपालिका और पुलिस विभाग को न्याय दिलाने के लिए किस तरह से साथ-साथ काम करना चाहिए।

पुलिस सिस्टम पर भी तंज

फिल्म में 1995 के दौरान के हालातों को दिखाया गया है। इसके साथ ही इस बार पर भी पूरा जोर दिया गया है कि आज भी हालात बहुत से हिस्सों में निचले कास्ट के लोगों के लिए कुछ खास बदले नहीं हैं। फिल्म में पुलिस के अत्याचारों को दिखाया गया है, जहां उनके चंगुल से कोई भी नहीं बच सकता है। वहीं सिस्टम पर भी तंज कसते हुए दिखाया गया है कि जब कोई बड़ा अधिकारी किसी छोटे को कुछ करने के लिए कहता है तो, चाहें वो गलत हो या सही, सवाल नहीं पूछा जाता और वैसे ही किया जाता है।

देखें या नहीं

जय भीम में जाति आधारित भेदभाव के मुद्दे को भी काफी संजीदगी से दिखाया गया है। फिल्म में सूर्या, वकील के किरदार में उम्दा अभिनय करते दिखे हैं। वहीं न सिर्फ सूर्या बल्कि अन्य सभी किरदारों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। फिल्म के कई सीन ऐसे हैं जिन्हें देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। ‘गणतंत्र को देश में बचाने के लिए कभी कभी तानाशाही की भी जरूरत पड़ती है’ और ‘कानून तो अंधा है ही, अगर आज ये कोर्ट गूंगा भी हो गया तो मुश्किल हो जाएगी’, जैसे कुछ डायलॉग्स और सीन्स फिल्म को और खास बनाते हैं।फिल्म को जरूर देखा जा सकता है।

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