
इंडिया फर्स्ट। नई दिल्ली।
दिल्ली अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित करने के लिए लोकसभा में चर्चा हुई। ग्यारह दिन बाद ही सही, गतिरोध टूटा और चर्चा शुरू हो गई। दिल्ली विधेयक वही है जिसके ज़रिए सुप्रीम कोर्ट ने जो अधिकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार को दिए थे उन्हें एक अध्यादेश के ज़रिए केंद्र सरकार ने पलट दिया था।
विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कई उदाहरण दिए जिनसे यह साबित करने की कोशिश की गई कि दिल्ली पर केंद्र सरकार का भी उतना ही अधिकार है जितना राज्य का, क्योंकि दिल्ली न तो पूरी तरह केंद्र शासित प्रदेश है और न ही पूरी तरह राज्य का दर्जा उसे प्राप्त है।
दिल्ली के बारे में क़ानून बनाने का अधिकार हर हाल में केंद्र सरकार को है। शाह का कहना था कि दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में जो कुछ कहा था उसका मनपसंद हिस्सा पढ़कर विपक्ष या आप सरकार अपना अधिकार जताने निकल पड़ी थी। उसे पूरा आदेश अच्छी तरह पढ़ने की ज़रूरत है।