#ADANI । क्या ममता बनर्जी I.N.D.I. गठबंधन को ललकार रही है – आना है तो खुलकर सामने आओ !

इंडिया फर्स्ट। पॉलिटिक्स फर्स्ट।

अडानी को लेकर ममता बनर्जी के फैसले ने राहुल गांधी की उलझन बढ़ा दी है

पश्चिम बंगाल में ताजपुर के गहरे समुद्री बंदरगाह को लेकर ममता बनर्जी ने जितना बड़ा झटका अडानी ग्रुप को नहीं दिया है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल विपक्ष और उसमें भी कांग्रेस के लिए खड़ी कर दी है. अब तो राहुल गांधी को खुल कर बताना पड़ेगा … कि कांग्रेस शासित राज्यों में अडानी के कारोबार पर वो चुप क्यों रहते हैं

ममता बनर्जी की तरफ से पहली बार अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई अप्रत्याशित कदम उठाया गया है. पश्चिम बंगाल सरकार के ताजा कदम से भले ही उद्योगपति गौतम अडानी के कारोबार पर कोई खास असर डालने वाला न हो, लेकिन उसका दूरगामी राजनीतिक प्रभाव महसूस किया जा सकता है.

ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं. एक पहलू तो राज्य में निवेश से जुड़ा है, दूसरा घोर राजनीतिक है. यहां दूसरा पहलू ज्यादा महत्वपूपूर्ण लगता है. ऐसे में महत्वपूर्ण ये चीज नहीं है कि सरकार ने क्या कदम उठाया है, बल्कि ये है कि क्यों उठाया है? आखिर ममता सरकार ने ऐसा कदम क्यों उठाया … जो बिलकुल भी अडानी के पक्ष में नहीं जाता. अडानी ग्रुप को लेकर हाल तक के ममता बनर्जी के रुख से कभी ऐसा तो लगा नहीं.

ममता ने ऐसे बढ़ाई राहुल गांधी की मुश्किल

जब कांग्रेस ने अडानी ग्रुप के खिलाफ संसद में जेपीसी जांच की मांग की थी, तो ममता बनर्जी का साथ नहीं मिला था. … विपक्षी गठबंधन INDIA की मुंबई बैठक में भी राहुल गांधी के अडानी का मुद्दा उठाने को लेकर ममता बनर्जी ने सख्त विरोध जताया था – लेकिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच ममता बनर्जी की नयी घोषणा से तो ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की जा रही हो.

देखें तो जो कदम… ममता बनर्जी ने गौतम अडानी के खिलाफ उठाया है, वैसा फैसला तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री भी ले सकते थे. राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल – सवाल तो ये उठता ही है कि आखिर क्यों राहुल गांधी मोदी सरकार के साथ अडानी ग्रुप के कारोबार को लेकर शोर मचाते हैं, लेकिन वैसी ही डील जब कांग्रेस कांग्रेस शासित राज्यों में होती है तो अपने मुख्यमंत्रियों के मामले में चुप हो जाते हैं

सीधे सीधे देखें तो ममता बनर्जी के इस कदम में विपक्षी गठबंधन INDIA के दबाव की भूमिका भी लगती है, क्योंकि अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ तृणमूल कांग्रेस नेता की तकरार तक हो चुकी है.

कहीं ऐसा तो नहीं कि ममता बनर्जी ने INDIA गठबंधन पर दबाव बढ़ाने के लिए ही ये कदम उठाया हो? ताकि अडानी के मामले में कोई भी डबल स्टैंडर्ड पॉलिसी न अपनाये. कांग्रेस मुख्यमंत्रियों जैसा भाव गौतम अडानी और शरद पवार की मुलाकात में भी तो देखा गया था… क्या ममता बनर्जी अब विपक्ष के नेताओं को ललकार रही हैं, आना है तो खुल कर सामने आओ!

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