
तालिबान राज में दुनिया से आर्थिक मदद के अभाव में बदहाल अफगानिस्तान अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर है। अमेरिका ने अफगान केंद्रीय बैंक में जमा करीब 700 अरब डॉलर पर रोक लगा दी है। आईएमएफ और विश्व बैंक ने कर्ज देने से मना कर दिया है। जानकारों को शक है कि तालिबान हवाला या नशीले पदार्थों की तस्करी से फंड जुटा सकता है।
वैश्विक आतंक वित्तपोषण निगरानी निकाय एफएटीएफ ने अपने 39 सदस्य देशों को तालिबान की संपत्ति फ्रीज करने का निर्देश दिया है। जानकारों के मुताबिक,तालिबान पिछले कार्यकाल में हवाला के जरिए ही आगे बढ़ा। सभी विकल्पों की तलाश में फेल होने के बाद वो फिर इस ओर रुख करे जो आतंक फैलाने का जरिया बन सकता है। साथ ही नशे के कारोबार में भी पुराने रास्ते पर जा सकता है। अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है व तालिबान की कमाई का बड़ा स्रोत अफीम की खेती भी रही है। आतंकियों का भी गुजारा मुश्किल
आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह बंद होने से तालिबान का गुजारा मुश्किल हो गया है। अफगानिस्तान के पूर्व वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे मोहम्मद सुलेमान बिन शाह बताते हैं, तालिबानी लोगों से खाद्य सामग्री मांगते फिर रहे हैं। तालिबान पैसा पाने के लिए नए इलाकों में धौंस जमाएगा।
हाथ से बाहर निकल चुकी है स्थिति
मनी एक्सचेंजर मोहम्मद यूसुफ हमीदी का कहना है कि तालिबान ने दो सप्ताह तक हवाला पर भी रोक लगाई थी। कैश न होने से स्थिति हाथ से बाहर निकल चुकी है। मुद्रा की कीमत गिर रही है। रोजमर्रा की चीजों की कीमत हर दिन बढ़ रही है जो किसी भी अफगानी नागरिक के बस में नहीं है। नतीजतन भुखमरी के हालात होने लगे हैं।
टूटती अर्थव्यवस्था पर कब्जे की तैयारी में चीन-पाकिस्तान
चीन और पाकिस्तान, अफगान अर्थव्यवस्था पर कब्जे की तैयारी में लग गए हैं। दोनों देशों ने इसके लिए अफगानिस्तान आर्थिक मदद भी शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा करने में मदद की थी। इसी आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अब अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी चलाने के लिए सलाह दे सकता है। इसी तरह चीन की युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अपना दबदबा बनाने की फिराक में है। इसके लिए उसने कुछ योजनाएं भी तालिबान के सामने रख दी हैं। वहीं पाकिस्तान ने घोषणा कर दी है कि वो अफगानिस्तान के साथ व्यापार पाकिस्तानी रूपये में करेगा।
अमेरिकी संसद में पेश हुआ तालिबान को आतंकी संगठन का दर्जा देने का प्रस्ताव
रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने मांग की है कि तालिबान को आतंकी संगठन का दर्जा दिया जाए। पार्टी ने कहा है कि अफगानिस्तान में इस समूह के नेतृत्व वाली सरकार में ऐसे कई कैबिनेट सदस्य हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी घोषित कर रखा है। सांसदों ने विधेयक पेश कर मांग की है कि अफगानिस्तान की तालिबान नीत सरकार को मान्यता देने वाले देशों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाए जाएं।
सीनेटर मार्को रूबियो व अन्य ने ‘आतंकवादी देशों को मान्यता देने पर रोक कानून’ नामक विधेयक पेश किया जिसमें अमेरिका के विदेश मंत्री से कहा गया कि वह ‘अफगानिस्तान के गैरकानूनी इस्लामी अमीरात’ को आतंकवाद के प्रायोजक व तालिबान को एक आतंकी संगठन का दर्जा दें।
खतरा है तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान : रूबियो
सीनेटर मार्को रूबियो ने कहा, तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों, पश्चिम व मध्य एशिया में हमारे सहयोगियों के लिए सीधा खतरा हैं। उन्होंने कहा, बाइडन प्रशासन द्वारा अफगानिस्तान से सेना की दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से वापसी के चलते वह देश उन आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन रहा है जो अमेरिका से नफरत करते हैं।