
भारत, जर्मनी, कतर, तुर्की और कई अन्य देशों ने फिर से दोहराया है कि अफगानिस्तान में जबरन बंदूक के दम पर बनी किसी भी सरकार को वे मान्यता नहीं देंगे। साथ ही सभी ने युद्ध संकट में फंसे अफगानिस्तान में हिंसा और हमलों को तत्काल रोकने की अपील भी की है।
दोहा में अफगानिस्तान पर दो अलग-अलग बैठकों के बाद शुक्रवार को कतर की तरफ से कहा गया कि बैठकों में हिस्सा लेने वाले देशों ने अफगान शांति प्रक्रिया को सर्वोच्च महत्व का मुद्दा मानते हुए इसे तत्काल तेज किए जाने की जरूरत बताई है।
कतरी विदेश मंत्रालय ने कहा, पहली बैठक 9 अगस्त को हुई, जिसमें चीन, उज्बेकिस्तान, अमेरिका, पाकिस्तान, ब्रिटेन, कतर, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने शिरकत की, जबकि 12 अगस्त को दूसरी बैठक में भारत, जर्मनी, नॉर्वे, कतर, अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, तजाकिस्तान, तुर्की और तुर्कमेनिस्तान के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिविजन) जेपी सिंह बैठक में शामिल हुए।