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ब्रिटेन में डाटा लीक होने के कारण उन सैकड़ों अफगान लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है, जो तालिबान से छिपकर रहने को मजबूर हैं. इन लोगों ने दो दशक तक चले युद्ध के समय ब्रिटिश सैनिकों की मदद की थी. ये लोग अब ब्रिटेन में शरण लेना चाहते हैं, लेकिन किसी ना किसी कारण से अब भी अफगानिस्तान में ही फंसे हैं. ऐसी खबर सामने आई है कि अफगानों के ई-मेल एड्रेस से जुड़ी जानकारी लीक हो गई है. ये जानकारी ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने एक ई-मेल में गलती से शेयर की है.
मामले में सरकार ने जांच शुरू कर दी है. जिसमें पता चला है कि 250 से अधिक लोगों की जानकारी लीक हुई है, जिन्हें रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटेन में शरण देने में सहायता करने का वादा किया था. इनकी ये जानकारी इस तरह लीक हुई कि उसे ई-मेल प्राप्त करने वाले सभी लोग देख सकते हैं. दुभाषिया के तौर पर काम करने वाले एक शख्स से ब्रिटिश मंत्रालय ने संपर्क भी किया था. जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘इस गलती की कीमत दुभाषिया के तौर पर काम कर चुके लोगों की जिंदगी हो सकती है, खासतौर पर उनकी जिंदगी जो अब भी अफगानिस्तान में हैं.’
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क्यों है एक बड़ा खतरा?
दुभाषिया के तौर पर काम कर चुके इस शख्स ने आगे बताया, ‘विदेशी सेना की मदद करने वाले कुछ लोगों को डाटा लीक की इस जानकारी के बारे में नहीं पता है और उन्होंने ई-मेल का जवाब दिया है. जिसमें उन्होंने अपनी वर्तमान स्थिति की जानकारी दी है.’ हैरानी की बात ये है कि कुछ ई-मेल एड्रेस के साथ लोगों की प्रोफाइल पिक्चर भी साफ दिख रही हैं. रक्षा विभाग ने डाटा लीक होने के आधे घंटे बाद लोगों को सलाह दी कि वह अपने ई-मेल एड्रेस में बदलाव कर लें. रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने रक्षा मंत्रालय की अफगान पुनर्वास सहायता नीति (एआरएपी) टीम की गलती को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया है.
रक्षा मंत्री ने मांगी माफी
वॉलेस ने कहा, ‘मैं उन अफगानों से माफी चाहता हूं, जो डाटा लीक होने से प्रभावित हुए हैं.’ वॉलेस ने कहा कि एक अधिकारी को घटना की जांच के बाद निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के अंदर अभी भी लगभग 260 लोग प्रभावित हुए हैं. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम इस घटना से प्रभावित हुए सभी लोगों से माफी मांगते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि ऐसा दोबारा ना हो