
इंडिया फर्स्ट ब्यूरो। डिंडौरी संवाददाता अनिल साहू
डिंडौरी जिले की बैगा महिला लहरी बाई किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं।इतना ही नही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद लहरी बाई की तारीफ़ कर चुके हैं। बीते मार्च महीने दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स कांफ्रेंस में लहरी बाई से मुलाकात कर पीएम मोदी ने लहरी बाई के काम की सराहना की थी लेकिन विडंबना देखिये लहरी बाई को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है। लहरी बाई को पीएम आवास योजना का लाभ न दे पाने के पीछे अधिकारी सरकारी नियमों का हवाला दे रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद लहरी बाई की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है लेकिन आज भी वो बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है। पीएम आवास के अलावा लहरी बाई की दूसरी सबसे बड़ी समस्या है की सालों बाद भी उसे जमीन का मालिकाना हक़ नहीं मिला है जहां वह बेवर खेती करके मोटा अनाज उगाती है लेकिन वो जमीन वन विभाग की है लिहाजा वनकर्मी उसकी फसलों को बर्बाद कर देते हैं। वनकर्मियों के द्धारा की गई ज्यादती की बातें करते वक्त लहरी बाई डरी सहमी नजर आती है।
ये है डिंडौरी जिले के बजाग जनपद का वनग्राम सिलपिड़ी और लहरी बाई इसी गांव की रहने वाली है लहरी बाई अपने बूढ़े माता पिता के साथ दो कमरे के कच्चे मकान में रहती है। इसी कच्चे मकान के एक छोटे से हिस्से को लहरी बाई ने बीज बैंक बना लिया है। तस्वीरों में आप देख सकते हैं न सिर्फ मिट्टी से बने कोठियों में बीज को सहेजकर रखा गया है बल्कि दीवार के चारों तरफ रस्सियों के सहारे मोटे अनाज के बालियों को सुरक्षित रखने की कोशिश की गई है। लहरी बाई बताती हैं की बीज बैंक में मुख्यतः 16 प्रकार के मोटे अनाजों के बीज हैं जिसमें ज्वार,बाजरा,कोदो,कुटकी,साँवा,रागी,कुट्टू व चीना आदि अनाज आते हैं। मिलेट क्राप्स को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि इनमे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लहरी बाई ने बताया की समूह की महिलाओं के साथ मिलकर करीब डेढ़ साल की कड़ी मशक्कत के बाद कई गाँवों से उन्होंने अलग अलग प्रकार के विलुप्त हो रहे अनाज के बीजों को एकत्रित किया और बेवर खेती के जरिये उन बीजों का संरक्षण किया। आपको जानकर हैरानी होगी की लहरी बाई ने कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखा है और अपने बूढ़े माता पिता की सेवा करने के लिए उसने अभी तक शादी भी नहीं की है। विलुप्त हो चुके जिस मोटे अनाज के बीज संरक्षण के लिए लहरी बाई ने संघर्ष करते आ रही है । लहरी बाई के बुजुर्ग पिता अपनी बेटी की उपलब्धियों से खुद को गौरांवित महसूस करते हैं।
तो वहीँ कलेक्टर लहरी बाई को पीएम आवास योजना का लाभ न मिल पाने के पीछे सरकारी नियमों का हवाला दे रहे हैं।वहीं आदिवासियों के जानकार व सामाजिक कार्यकर्ता नरेश विश्वास ने भी लहरी बाई को भू अधिकार नही मिलने पर सवाल खड़े किए हैं उनका कहना है कि वन विभाग वन भूमि पर बेबर खेती करने बाले बैगा आदिवासियों की फसलें वन विभाग चौपट करते आ रहा है।कलेक्टर का कहना है की वर्ष 2011 – 12 में लहरी बाई के पिता को इंदिरा आवास योजना के तहत लाभांवित किया जा चुका है और लहरी बाई अविवाहित है लिहाजा उसे पीएम आवास योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता है हालांकि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद कलेक्टर ने लहरी बाई के कच्चे मकान से खप्पर हटाकर सीमेंट की शीट लगवाकर दिलासा देने की कोशिश जरूर कर दी है।इस मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते से बात की गई तो उन्होंने लहरी बाई को मदद करने का भरोसा देकर पल्ला झाड़ लिया।मिलेट्स का ब्रांड एम्बेसडर बतलाते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय के मीटिंग रूम में लहरी बाई का बड़ा पोस्टर लगाया गया है सरकारी कार्यक्रमों में बुलाकर समय समय पर उसका सम्मान भी किया जाता है लेकिन पीएम आवास और वन अधिकार के पट्टे की बात जब आती है तो नियमों का हवाला दे दिया जाता है।indiafirst.online