
इंडिया फर्स्ट ब्यूरो। आज से फ्रांस में कांस फिल्म फेस्टिवल शुरू हो रहा है। अगले 11 दिन आपको सोशल मीडिया पर रेड कार्पेट पर सेलेब्स का जमघट दिखाई देगा। कांस दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल्स में से एक है। इसे हिटलर और मुसोलिनी जैसे तानाशाहों की मनमानी के खिलाफ शुरू किया गया था।
कांस जितना प्रतिष्ठित है, उतना ही लैविश भी। अगले 11 दिन यहां सेलेब्स पर अरबों रुपए खर्च किए जाएंगे। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि डिनर के दौरान ही इन 10-11 दिनों में 18 हजार से ज्यादा बोतल वाइन और शैंपेन परोसी जाएगी। डिनर में 2000 किलो लॉबस्टर (केकड़े) पकाए जाएंगे। कांस का जो रेड कार्पेट है, उसकी लंबाई 2 किमी है और ये साफ-सुथरा दिखाई दे, इसके लिए इसे दिन में 3 बार बदला जाता है। इसमें सेलेब बुलाए जाते हैं, लेकिन उन्हें इसका टिकट भी खरीदना होता है, जिसकी कीमत 25 लाख रुपए तक होती है।
हिटलर के खिलाफ शुरू हुआ फेस्टिवल, पहले दिन ही टला
1938 में वेनिस फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत की गई थी, लेकिन उस समय जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर और मुसोलिनी अपने पसंदीदा लोगों को अवॉर्ड बांट देते थे। इनकी तानाशाही से परेशान होकर कई ज्यूरी मेंबर ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल छोड़ दिया और एक फ्री फेस्टिवल शुरू करने का फैसला किया, जिसकी लोकेशन कांस, पेरिस तय हुई।
18 कैरेट गोल्ड से बना अवॉर्ड, कीमत करीब 18 लाख रुपए
1955 में फेस्टिवल कमेटी ने पाम डिओर (Palm D’or) अवॉर्ड लॉन्च किया, जो इस सेरेमनी का हाईएस्ट अवॉर्ड है। 1964 में पाम डिओर को ग्रैंड प्रिक्स से रिप्लेस किया गया था। हालांकि 1975 से फिर पाम डिओर अवॉर्ड दिया जाने लगा। इसे 18 कैरेट यलो गोल्ड और एमराल्ड कट डायमंड से तैयार किया गया है। इस एक अवॉर्ड की कीमत 27 हजार डॉलर यानी 18 लाख रुपए है।
कांस शहर सिर्फ याट को रेंट पर देकर कमाता है 3 हजार करोड़ रुपए
कांस शहर याट पार्टी के लिए भी फेमस है। फेस्टिवल में पहुंचने वाले दुनियाभर के कई सेलेब्स फेस्टिवल के दौरान याट पार्टी का भी हिस्सा बनते हैं। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार याट पार्टी से सालाना कांस शहर की 3 हजार करोड़ रुपए कमाई होती है, जो सेलेब्स खुद खर्च करते हैं।
हैंडबैग और सेल्फी पर पाबंदी
रेड कार्पेट के लिए कोई निर्धारित ड्रेस कोड नहीं है, हालांकि यहां आने वाले हर सेलेब को ग्लैमरस लगना अनिवार्य है। हैरानी की बात ये है कि रेड कार्पेट पर हैंडबैग ले जाना सख्त मना है। यहां आने वाले सेलेब्स क्लच या हाथ में दूसरा कोई भी बैग नहीं पकड़ सकते। रेड कार्पेट की रूल बुक पर लिखा हुआ है कि कृपया अपने हैंडबैग अपने होटल में ही छोड़कर आएं।
रेड कार्पेट पर फोटो या सेल्फी लेने की भी सख्त मनाही है, कोई भी सेलेब रेड कार्पेट पर सिर्फ और सिर्फ पैपराजी से ही तस्वीर क्लिक करवा सकता है।
पैपराजी की 5-पीस सूट के बिना एंट्री बैन
रेड कार्पेट पर आने वाले सेलेब्स को क्लिक करने पहुंचे पैपराजी के लिए भी कांस फिल्म फेस्टिवल में ड्रेस कोड है। पैपराजी सिर्फ ब्लैक टक्सीडो सूट, टाई/बो और फॉर्मल शूज पहनकर ही आ सकते हैं। अगर ड्रेस कोड में लापरवाही की जाती है, तो उन्हें वहां फोटो क्लिक करने से रोक दिया जाता है।
1984 में पहली बार मिली थी भारतीय फिल्मों को कांस फिल्म फेस्टिवल में जगह
साल 1984 में पीरे वायट को रॉबर्ट फेवर ली ब्रेट ने प्रेसिडेंट के पद से रिप्लेस किया था। पीरे नए नियम और कई बदलाव लेकर आए थे, जिसके चलते भारत, चीन, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, अर्जेंटीना, क्यूबा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भी ऑफिशियली कांस फिल्म फेस्टिवल में जगह मिल गई।
भारत की नीचा नगर है अवॉर्ड पाने वाली पहली और इकलौती फिल्म
कांस फिल्म फेस्टिवल में जाने वाली पहली भारतीय फिल्म 1946 की नीचा नगर थी। इसे हाईएस्ट अवॉर्ड पाम डिओर मिला था। ये अवॉर्ड जीतने वाली नीचा नगर भारत की इकलौती फिल्म है।