श्रमिकों के कल्याण के लिए सरकार लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि शासन की लेतलाली ने हितग्राहियों को सुविधाओं से महरूम कर रखा है…मामला राजधानी का है जहां श्रमिकों के इलाज के लिए बना कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय का है जो खुद वेंटिलेटर पर चल रहा…पांच दिनों से पानी नहीं है और गंदगी का आलम ये है कि यहां भर्ती मरीज खुद रवानगी डाल चुके हैं….श्रमिकों के कल्याण के लिए सरकार लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि शासन की लेतलाली ने हितग्राहियों को सुविधाओं से महरूम कर रखा है…मामला राजधानी का है जहां श्रमिकों के इलाज के लिए बना कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय का है जो खुद वेंटिलेटर पर चल रहा…पांच दिनों से पानी नहीं है और गंदगी का आलम ये है कि यहां भर्ती मरीज खुद रवानगी डाल चुके हैं….
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