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इंडिया फर्स्ट । देश में कोयले की कमी होने लगी है। कई राज्यों ने इसके चलते बिजली संकट गहराने की आशंका जताई है। दिल्ली, पंजाब, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। इसमें जल्द से जल्द कोयले की कमी दूर करने की मांग की गई है, ताकि बिजली उत्पादन में होने वाली कमी को समय रहते दूर किया जा सके। हम आपको बता रहे हैं कि भारत में बिजली कैसे तैयार होती है? आखिर क्यों कोयले की कमी से देश में बिजली का संकट बढ़ने का खतरा मंडराने लगा है? बिजली उत्पादन में भारत क्या करने की क्षमता रखता है? हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटयू) के प्रोफेसर और कन्नौज इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. मनोज शुक्ला समझा रहे हैं बिजली उत्पादन का पूरा गणित…
भारत में बिजली का उत्पादन कैसे?
सामान्यत: हर देश में 7 तरीकों से बिजली का उत्पादन होता है। सबसे ज्यादा थर्मल यानी कोयले से बिजली बनाई जाती है। भारत में 70% बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है। नेशनल पॉवर पोर्टल (NPP) के मुताबिक, देश में तीन लाख 88 हजार मेगावाट की बिजली बनाने की क्षमता है। हालांकि, अभी कई प्लांट्स अंडर मेंटेनेंस है। मतलब यहां अभी बिजली उत्पादन का काम नहीं हो पा रहा है। इस तरह से अभी देश में हर रोज 2 लाख 204 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इनमें…
बिजली की जरूरत और सप्लाई?
एनपीपी के अनुसार, देश में अभी हर रोज एक लाख 66 हजार 107 मेगावाट बिजली की डिमांड है। इसमें 1.63 लाख मेगावाट बिजली सप्लाई हो रही है। इस तरह से हर रोज करीब 2700 मेगावाट की कमी हो रही है। कोरोना के बाद बिजली की खपत में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। 2019 में जहां हर महीने 106.6 बिलियन यूनिट की खपत होती थी, वहीं 2021 में 124.2 बिलियन यूनिट बिजली की खपत होने लगी। इसके चलते कोयले की खपत भी बढ़ गई। पिछले साल अगस्त-सितंबर के मुकाबले इस साल इसमें 18% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कोयले की कमी क्यों हुई?
1. लॉकडाउन खत्म होते ही पिछले दो महीनों में बिजली की डिमांड अचानक से बढ़ी है। ऐसा इसलिए क्योंकि करीब 18 महीने से बंदी और सुस्ती के कगार पर पहुंचे फैक्ट्रियों में तेजी से काम शुरू हुआ। इससे बिजली की खपत बढ़ गई।
2. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल-जून में कोयले के खनन का काम काफी प्रभावित हुआ।
3. इस बार मानसून का समय बढ़ गया। बारिश के दौरान कोयले का खनन कम हो जाता है। मानसून लंबे समय तक चलने के कारण हर साल जितने समय में नुकसान की भरपाई हो जाती थी, वो इस बार नहीं हो पाई।
4. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के दाम में 40% का इजाफा हुआ। इसके चलते भारतीय कंपनियों ने कोयले के आयात कम कर दिया। indiafirst.online