
इंडिया फर्स्ट। मुंबई।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ के बीच भारतीय नौसेना ने अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिये, बड़ा कदम उठा दिया है। भारत का ख़तरनाक वॉरशिप, INS इंफाल 26 दिसंबर को कमीशन हो गया है। इस वॉरशिप को पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल कर लिया गया है।
क्यों इंफाल नाम रखा गया
PIB के मुताबिक, INS इंफाल को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मणिपुर के बलिदान और योगदान के लिए श्रद्धांजलि कहा गया है। चाहे वह 1891 का एंग्लो-मणिपुर युद्ध हो या फिर 14 अप्रैल 1944 को मोइरांग वॉर, जिसमें पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने INA का झंडा फहराया था।
यह डिस्ट्रॉयर वॉरशिप सतह से सतह पर मार करने वाली, 8 बराक, 16 ब्रह्मोस एंटीशिप सेंसर्ड मिसाइल, सर्विलांस रडार, 76 MM रैपिड माउंट गन, एंटी सबमरीन और टॉरपीडो से लैस है। रक्षा मंत्रालय के मुंबई स्थित शिपयार्ड मझगांव डॉकशिप बिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने इंफाल को बनाया है।
इंफाल पहला वॉरशिप है, जिसका नाम नॉर्थ ईस्ट के एक शहर पर रखा गया है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल 2019 को मंजूरी दी थी।
75% हिस्सा पूरी तरह स्वदेशी
आपको बता दें कि आईएनएस इंफाल के निर्माण में स्वदेशी स्टील DMR 249A का इस्तेमाल किया गया है, यानी इसका 75% हिस्सा पूरी तरह स्वदेशी है। INS इंफाल विशाखापत्तनम कैटेगरी के 4 डिस्ट्रॉयर वॉरशिप में से तीसरा है, जिसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस ऑर्गनाइजेशन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है।
सबसे कम समय में बनकर तैयार हुआ वॉरशिप इंफाल
इंफाल के बनाने और उसके टेस्टिंग में लगा समय किसी भी भारतीय डिस्ट्रॉयर वॉरशिप के बनने में लगा सबसे कम वक्त है।
नौसेना के पास 132 जंगी जहाज
भारतीय नौसेना फिलहाल कोलकाता क्लास, दिल्ली क्लास और राजपूत क्लास के 11 गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर समेत 132 वॉरशिप का संचालन कर रही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने 2035 तक 170-175 जहाजों का बेड़ा तैयार करने का लक्ष्य रखा है। indiafirst.online