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इंडिया फर्स्ट न्यूज़। भोपाल ।
मप्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री, कमलनाथ का एक पत्र सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कमलनाथ ने इस पत्र के जरिये, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, उन सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की डिटेल्स मांगी है, जिन्होने हाल ही में मप्र में संपन्न हुए, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस पार्टी को हराने में कथित भूमिका निभाई है। इस लैटर का आखिरी पैराग्रॉफ की भाषा सबसे चौकाने वाली है। पत्र के इस आख़िरी तीन लाईनों में कमलनाथ, सीधे सीधे सरकारी अमले को लगभग धमकाते नज़र आते है। कमलनाथ लिखते है कि 14 महिने बाद, जब वे वापस सत्ता में लौटेंगे तो ऐसे सरकारी अधिकारी कर्मचारियों का फिर वे इंसाफ करेंगे।
कमलनाथ की इस दबंग भाषा के अब कई मायने निकाले जा रहे है।
इंडिया फर्स्ट सवाल
कमलनाथ ने क्यों दी धमकी ?
कमलनाथ ने खुद कर ली अपनी ताजपोशी ?
मक़सद कांग्रेसियों में जोश भरना या कुर्सी पर जमें रहना ?
क्या कांग्रेस के भीतर वर्चस्व की जंग ?
किस तरह के इंसाफ का ऐलान कर रहे है कमलनाथ ?
सरकारी अधिकारी- कर्मचारियों को धमकाना क्या सही ?
आपातकाल स्टाइल में क्यों दिखते हैं कमलनाथ ?
सरकारी कर्मचारियों से पंगा पड़ता है भारी
कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति और वर्चस्व की जंग के बीच, शायद कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के अनुभव से सबक लेना भूल गये। दरअसल, दिग्विजय सिंह ने अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के अंतिम दिनों में, सरकारी कर्मचारियों की अनदेखी की थी, जिसका खामियाज़ा उन्हे सत्ता गंवा के चुकाना पड़ा। हालांकि कमलनाथ इससे पहले भी सरकारी तंत्र को चेतावनी और कल के बाद परसो की बात कहते आये है लेकिन इस लैटर के ज़रिये वो एक तीर से कितने शिकार कर रहे है ये देखना बेहद दिलचस्प है। दरअसल, कांग्रेस का एक तबका, मप्र में युवा चेहरों को आगे लाने की ज़ोर आज़माईश में अड़ा है। उनकी उम्मीद राहुल गांधी से है कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाले और मप्र में कमलनाथ और दिग्विजय के चेहरो के स्थान पर कोई नया युवा चेहरा सामने आये। हालांकि ईडी के जंजाल में जिस तरह से कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व उलझा हुआ है उससे कांग्रेस के प्रदेश के युवा नेताओं को फिलहाल इंतज़ार करने के कोई चारा नज़र नही आ रहा है। ऐसे में दिन ब दिन बढ़ते समय के साथ, कमलनाथ खुद को फिर से मुख्यमंत्री के चेहरे और कांग्रेस में एक मात्र विकल्प के तौर पर स्थापित करने की कोशिशों को तेज़ करने में जुट गये है। इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भूमिका पर भी सबकी नज़र है। कमलनाथ और दिग्विजय के बीच खिंचतान की कई वाक्ये सामने आ चुके है । ऐसे में कबीलों में बंटी कांग्रेस क्या मिशन 2023 से पहले अपनी अंदरुनी खींचतान से निपट पायेगी ?? indiafirst.online