
इंडिया फर्स्ट ब्यूरो। भोपाल । खून बेचना और ब्लड डोनर को पैसे देना भारत में गैरकानूनी है लेकिन देश भर में खून का एक बहुत बड़ा बाज़ार पैदा हो गया है ।भारत में खून देने वालों की शुरू से कमी रही है. क़रीब सवा अरब आबादी वाले भारत को हर साल एक करोड़ 20 लाख यूनिट खून की जरूरत होती है लेकिन केवल 90 लाख यूनिट ही इकट्ठा हो पाता है ।नतीज़तन 25 फीसदी की कमी और गर्मियों में कमी 50 फीसदी तक बढ़ जाती है और इसका नतीजा ये होता है कि प्रोफेशनल ब्लड डोनर जरूरतमंद मरीजों से पैसे की उगाही शुरू कर देते हैं ।
जानकारों का कहना है कि सेंट्रल ब्लड एजेंसी की कमी और अलग-अलग जातियों के बीच लोगों को रक्तदान करने से जुड़ी सामाजिक मान्यताएं भी खून देने वालों की कमी का एक बड़ा कारण है.इन्हीं वजहों से खून के एक बड़े और अवैध बाज़ार के लिए स्थितियां माकूल हो गई हैं. यह इसके बावजूद है कि साल 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने पैसे देकर खून देने वालों और बिना लाइसेंस के चलने वाले ब्लड बैंकों पर रोक लगा दी थी ।
मध्यप्रदेश के भोपाल शहर मे लाल खून का बड़ा कला कारोबार चल रहा है , ब्लड बैंक प्राइवेट हॉस्पिटल से साठगांठ कर के ऐसे कारोबार को खुलेआम अंजाम दे रहा है, सारा खेल नगद में । जहां रशीद तो काटी जा रही है 1050रू. की और लिया जा रहा है 2500 रूपए ।वैसे भारत में अवैध खून के बाज़ार को लेकर आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं. इस बारे में भी आंकड़ा नहीं है कि कितने फ़ॉर्म बेनकाब किए गए हैं.अगर खून के कालाबाज़ार का एक अनुमान लगाया जाए तो भारत में जरूरत पड़ने वाले तीस लाख यूनिट की कीमत 2500 रुपये प्रति यूनिट की दर से 100 मिलियन डॉलर के करीब बैठती है ।
डोनर की जरूरत
जानकारों का कहना है कि कानूनी तौर पर चलने वाले कई ब्लड बैंक भी इन प्रोफेशनल डोनर्स को बर्दाश्त करते हैं हालांकि ये जरूरी नहीं कि वे खून की कीमत चुका रहे हों ।1996 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ‘रिप्लेसमेंट डोनर’ की व्यवस्था बनी जिसमें अस्पताल से खून लेने वाले व्यक्ति को अपने परिवार या दोस्तों में किसी से खून दान करवाना होता है. ब्लड के हर यूनिट के लिए एक अलग डोनर की जरूरत होती है ।
रिप्लेसमेंट डोनर के प्रावधान के पीछे विचार ये था कि लोग परोपकार की भावना से रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित हों.लेकिन जिन मरीजों को अधिक खून की जरूरत होती है और वे एक से अधिक डोनर खोजने की स्थिति में नहीं होते हैं, उनके पास दलालों से मदद लेने के अलावा और कोई चारा नहीं होता है । ऐसे में सरकार भी सब जानते हुए इन धंधों पर ना तो रोक लगाती है ना कोई जरूरी कदम उठाती है । indiafirst.online