महा शिवरात्रि है सबसे बड़ी महाकालरात्रि

इंडिया फ़र्स्ट । सनातन फर्स्ट । हिंदू समुदाय भगवान शिव की पूजा करने के लिए महा शिवरात्रि मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि हर साल हर चंद्र मास का चौदहवाँ दिन या पूर्णिमा से एक दिन पहले शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है, और यह भी कहा जाता है कि उस रात को भगवान शिव तांडव करते हैं और शक्ति से विवाह करते हैं। महा शिवरात्रि आमतौर पर फरवरी या मार्च में होती है। इतिहास के अनुसार शिवरात्रि महीने की सबसे काली रात होती है। महा शिवरात्रि लगभग अंधकार के उत्सव की तरह लगती है। लेकिन अधिकतर लोगों का मानना है कि शिवरात्रि का अर्थ शिव और शक्ति के विवाह का उत्सव है।

शिव और पार्वती दोनों प्रेम, शक्ति और एकता के प्रतीक हैं। कहानी हमें बताती है कि कैसे भगवान शिव ने अपनी दिव्य पत्नी शक्ति से दूसरी बार विवाह किया। शिव और शक्ति की कथा के अनुसार, जिस दिन भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया था, उसे शिवरात्रि – भगवान शिव की रात के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि वैवाहिक जीवन में प्रेम, जुनून और एकता का प्रतीक है। शिव और शक्ति एक ही ऊर्जा के दो रूप हैं और साथ-साथ ही वे पूर्ण या शक्तिशाली रूप में खड़े होते हैं।

●● महाशिवरात्रि 2023 शिव पूजा के पांच मुहूर्त –

सुबह का मुहूर्त – सुबह 8 बजकर 22 मिनट से 9 बजकर 46 मिनट तक शुभ का चौघड़िया है।
दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 2.00 बजे से 3 बजकर 24 मिनट तक लाभ का चौघड़िया रहेगा।
अमृत काल मुहूर्त – दोपहर 3 बजकर 24 मिनट से 4 बजकर 49 मिनट अमृत का चौघड़िया है. अमृत काल शिव पूजा के लिए उत्तम फलदायी होता है।

शाम का मुहूर्त – शाम 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक महादेव की उपासना का मुहूर्त बन रहा है।
निशिता काल मुहूर्त – महाशिवरात्रि की पूजा मध्यरात्रि में करने का विधान है. 18 फरवरी को रात 10 बजकर 58 मिनट से 19 फरवरी 2023 को प्रात: 1 बजकर 36 मिनट तक महानिशीथ काल में शिव पूजा पुण्यकारी होगी।

●● महाशिवरात्रि की पूजा विधि-

शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ इस भगवान शंकर के आगे व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिये भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी तभी संकल्प लें। महाशिवरात्रि पर पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।

बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है। इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं और सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें I

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