आदिवासियों के उत्थान के लिये पाखंड । जी हां, शायद हमें इससे बेहतर शब्द नही मिला..इस तस्वीर को बयां करने के लिए …जो भोपाल में शुक्रवार को देखने को मिली। ग़रीब आदिवासियों के पास, रहने खाने की व्यवस्था हो ना हो…लेकिन इनकी नुमाइंदगी करने वाले ..कैसे फाईव स्टार होटल में…पैसो की बर्बादी करते है…ये आप खुद ही देखिये। इसे देखने के बाद, आदिवासियों के दशको बाद भी शोषित रहने की कहानी …आप खुद ही समझ जायेंगे।
ये नाराज़गी काफी है ये समझाने के लिए …कि किस तरह आदिवासियों के नाम पर इस फाईव स्टार होटल में, दिखावा किया गया। ना किसी की बात सुनना और ना आदिवासियों की हकीक़त से रु ब रु होना। जनजाति आयोग के इस दल की अगुवाई कर रहे थे, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष , नंदकुमार साय। आदिवासियों के सबसे बड़े नेता होने का दावा करने वाले साय को शायद ये नही मालूम होगा की भोपाल में करोड़ो की लागत से जनजातिय संग्रहालय बनाया गया है…जिसका इस्तेमाल कर के…आदिवासियों के नाम पर लाखो की फिजूलखर्ची को टालने के लिए किया जा सकता था..लेकिन..ग़रीबो और शोषितों के नाम पर नेतागिरी करने वाले ये लोग…इन यात्राओं को …पर्यटन यात्रा से कम नही समझते। इंडिया फर्स्ट के सवाल पर, साय साहब , अचानक ऐसे मासूम बने…जैसे उन्हे जबर्दस्ती या बिना बताये…फाईव स्टार होटल में लाकर बैठा दिया गया हो।
अब आप खुद ही कहिये …कि कैसे ये सुविधाभोगी नेता, ग़रीबो के हक़ की बात उठा सकेंगे। अविनाश ठाकुर, इंडिया फर्स्ट न्यूज़, भोपाल।