मध्यप्रदेश का बिजली विभाग इन दिनों ‘‘करेला ऊपर से नीम चढ़ा’’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। एक लोगों वैसे ही बिजली की आंखमिचौली का सामना करना पड़ रहा है उस पर मनमाने बिजली बिलों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं, बढ़े हुए बिजली बिल से मुश्किल में पड़े उपभोक्ता कह रहे हैं और इन दिनों बिजली विभाग के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
मध्यप्रदेश में बिजली संकट को लेकर राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रही हैं और उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं। एक तो पहले ही लोगों को पूरे समय बिजली नहीं मिल पा रही है उस पर अचानक बढ़े हुए बिजली के बिल लोगों का दिमागी पारा बढ़े रहे हैं। ये तस्वीर मध्यप्रदेश में सिवनी जिले के घंसौर बिजली विभाग की है, लेकिन ऐसा नजारा प्रदेश के और जिलों में भी देखा जा सकता है जहां उपभोक्ता बिजली के बिलों को सुधरवाने की आस में खड़े हैं।
क्या बुजुर्ग क्या महिलाएं सभी अपने जरूरी काम छोड़कर सिर्फ बिजली बिल सुधरवाने के लिए विद्युत वितरण केन्द्र के चक्कर लगा रहे हैं। इनमें ऐसे उपभोक्ता भी है जिनमें से किसी का 15 हजार तो किसी का 18 हजार रूपये बिजली बिल आया है। इन लोगों की नींद भले ही अचानक बढ़े हुए बिजली बिलों ने उड़ा रखी हो, लेकिन बिजली विभाग को इससे कोई सरोकार नहीं। कार्यालय में इनकी सुनने वाला कोई नजर नहीं आता।
बढ़ते बिलों की शिकायत मिली तो इंडिया फस्ट की टीम ने इसकी सच्चाई जाननी चाही हम उपभोक्ताओं से मिले जिन्होंने न सिर्फ अपने बिलों को दिखाया बल्कि पहले के बिल भी लोगों ने यह कहकर दिखाए की आज से पहले तो कभी ऐसे बिल नहीं आए अचानक कैसे इतने ज्यादा बिल आ गए।
लगता है जैसे बिजली विभाग और कांग्रेस सांप नेवले का खेल, खेल रहे हों। हालांकि बिजली को लेकर राजनीति भी गर्मा गई है, लेकिन बिजली बिलों के बोझ से तो फिलहाल उपभोक्ताओं की ही कमर टूट रही है। सिवनी से सुभाष बाकोडे की रिपोर्ट
— बिजली बिलों के बोझ से दबे लोग
— सुधार के लिए लगा रहे चक्कर
— बिजली विभाग में नहीं कोई सुनवाई
— बिजली को लेकर राजनीति गर्म
— एक-दूसरे पर फोड़ रहे ढीकरा
— ज्यादा बिजली बिलों से परेशान लोग
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