
इंडिया फर्स्ट ब्यूरो
आज जोबट के कबीरसेज गांव में अपने जनजाति भाई श्री भारचंद भूरिया जी के घर विश्राम के लिए रुक रहा हूं।
गांव में रहने का आनंद ही बिल्कुल अलग है। इसलिए मैंने शहर में रहने की बजाय गांव में रुकने का फैसला किया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि अपार स्नेह करने वाले अपनों के बीच हूं।
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