
इंडिया फर्स्ट ब्यूरो। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा क्रूज पर मारी छापेमारी में यह सामने आया है कि इस रेव पार्टी के लिए डार्क नेट के जरिए ड्रग्स खरीद गए. यह खुलासा एनसीबी द्वारा हिरासत में लिए पैडलर ने किया है. जांच एजेंसी के अनुसार इस पैडलर ने 25 लोगों को ड्रग्स बेंची थी. इसके पास से और कई किस्म के ड्रग्स बरामद हुए हैं. बताया गया कि यह पैडलर अब तक एनसीबी की गिरफ्त में इसलिए नहीं आया था, क्योंकि यह ड्रग्स की खरीद फरोख्त डार्क नेट के जरिए करता था. इतना ही नहीं वह पेमेंट भी बिटकॉइन में लेता था. गौरतलब है कि सोमवार को ही एक अदालत ने इस मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और दो अन्य को एक क्रूज जहाज से प्रतिबंधित मादक पदार्थ जब्त किये जाने के सिलसिले में सात अक्टूबर तक एनसीबी की हिरासत में भेज दिया. अदालत ने कहा कि जांच के लिए उनसे पूछताछ की जरूरत है जो बहुत आवश्यक है.
आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर यह डार्क नेट है क्या?
दरअसल, हम जिस इंटरनेट को दुनिया मानते हैं वो केवल 4% है. बाक़ी 96 % दुनिया डार्क है. इंटरनेट की तीन परतें होती हैं. पहली परत है सरफेस नेट. इसे हम सर्च इंजन के जरिए देख सकते हैं. जब दुनिया का पहला ब्राउजर बना तब से सरफेस नेट, वर्ल्ड वाइड नेट का हिस्सा है. यानी जो भी सर्च इंजन से दुनिया खोज सकती है, वह सरफेस नेट है. सरफेस नेट के नीचे की परत डीप नेट है और उसके नीचे डार्क नेट.
फिर कम्प्यूटर साइंटिस्ट माइकल के बर्गमैन ‘डीप नेट’ टर्म सामने लाए. बता दें डीप नेट का कॉन्टेंट सर्च नहीं कर सकते. इसका कॉन्टेंट HTML फॉर्म में छिपा रहता है. डीप नेट के भीतर कई नेटसाइट्स हैं. इन्हें एक्सेस करने के लिए स्पेशल ब्राउजर डकडकगो की जरूरत होती है. यहां ड्रग्स की खरीद-फरोख्त और ऐसे ही कई गैरकानूनी व्यापार बिनारोक टोक चलते हैं.
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तीसरी लेयर है डार्क नेट
वहीं बात करें तीसरी और आखिरी लेयर की तो यह डार्क नेट है जो किसी को दिखता नहीं. यह डीप नेट से भी नीचे है. डार्क नेट तक स्पेशल एक्सेस के जरिए ही पहुँचा जा सकता. इसके लिए खास सॉफ्टवेयर Tor की जरूरत होती है.
Tor एक सॉफ्टवेयर है, जो यूजर्स की पहचान और इंटरनेट एक्टिविटी को खुफिया एजेंसियों की नजरों से बचाता है. लोग इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अपना आईपी एड्रेस छिपाने के लिए करते हैं.Indiafirst.online