
इंडिया फर्स्ट। इंटरनेशनल डेस्क।
ग्वादर में अरामको की रिफाइनरी बनाने की योजना
सऊदी अरब (saudi arab ) और चीन (china ) की नज़दीकी ने ईरान (iran ) की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल सऊदी अरब ने उम्मीद जताई है कि 80 हजार एकड़ जमीन पर बन रहे उसकी रिफाइनरी परिसर से वह चीन को बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम पदार्थों का निर्यात करेगा। इससे ईरान के निर्यात पर असर पड़ सकता है। पाकिस्तान के ग्वादर में सऊदी अरब की कंपनी अरामको ने 10 बिलियन डॉलर के निवेश से रिफाइनरी बनाने की योजना बनाई है। यह जगह ईरान के चाबहार बंदरगाह से सिर्फ 169 किलोमीटर दूर है।
कट्टर दुश्मन है सुन्नी सऊदी अरब और शिया ईरान
सऊदी अरब, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में शिया विरोधी कट्टरपंथी मदरसों को धन देना जारी रखे हुए है। ईरान इससे चिंतित है। उसे आशंका है कि इन मदरसों से निकलने वाले चरमपंथी सुन्नी मुसलमान ग्वादर के आसपास के इलाकों को केंद्र बना कर ईरान के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
चीन से रिश्ते मजबूत कर रहा सऊदी अरब
ईरान और पाकिस्तान के बीच चीन एक साझा लिंक है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के जरिए पाकिस्तान में चीन ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। उधर जब से अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए, चीन ईरान के कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक के रूप में सामने आया है।
लेकिन अब पाकिस्तान में निवेश बढ़ाने के साथ ही सऊदी अरब चीन से भी रिश्ते मजबूत कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ताजा सऊदी अरब यात्रा इस बात की मिसाल है।
चीन और अमेरिका के बीच फंस सकता है पाकिस्तान
लेकिन समझा जाता है कि इससे पाकिस्तान की कूटनीतिक मुश्किलें बढ़ेंगी। उसके लिए अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाने में इससे और दिक्कत आ सकती है। दूसरी तरफ ईरान के साथ सीमा पर उसका तनाव बढ़ सकता है। पाकिस्तान की भारत और अफगानिस्तान से लगी सीमाएं पहले से तनावग्रस्त हैं। ऐसे में एक और सरहद को संभालना आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता में फंसे इस देश के लिए आसान नहीं होगा। indiafirst.online