पंजाब : टिकट की दौड़ से बाहर होंगे जिला कांग्रेस अध्यक्ष

पंजाब कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव से पहले नए सांगठनिक ढांचे को अंतिम रूप देने पर काम कर रही है. ऐसे में वह एक नया फॉर्मूला पेश कर सकती है, जिसके तहत जिला अध्यक्षों को पार्टी उम्मीदवारों की सूची से बाहर रखा जाएगा. इसके अलावा कार्यकारी अध्यक्षों के साथ समन्वय के लिए मालवा, दोआबा और माझा क्षेत्रों के लिए कम से कम तीन महासचिव नियुक्त करने की भी योजना है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी के टिकट की इच्छा न रखने वाले जिलाध्यक्षों को नियुक्त करने के कदम से उनका पूरा ध्यान चुनाव प्रचार पर ही रहेगा और परिणाम आने के बाद संगठन में निरंतरता सुनिश्चित होगी.
 रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने उक्त व्यवस्था का संकेत दिया है और राज्य नेतृत्व इस विकल्प पर विचार कर रहा है. आने वाले दिनों में आम सहमति बनने की स्थिति में प्रस्ताव को पारित कर दिया जाएगा. पीपीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू नई कार्यकारिणी पर चर्चा के लिए चार कार्यकारी अध्यक्षों के साथ नियमित बैठकें कर रहे हैं. एक सप्ताह के भीतर पार्टी के नए ढांचे का अनावरण होने की संभावना है.
2017 में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ‘एक परिवार, एक टिकट’ का नियम लेकर आई थी. इसे वरिष्ठ नेताओं के परिवारों के साथ सख्ती से लागू किया गया. लाल सिंह और प्रताप सिंह बाजवा को केवल एक उम्मीदवार के लिए समझौता करना पड़ा था. 1 सितंबर को पंजाब मामलों के एआईसीसी प्रभारी हरीश रावत के चंडीगढ़ दौरे के दौरान सिद्धू ने उन्हें आश्वासन दिया था कि एक पखवाड़े में नया पीपीसीसी निकाय तैयार हो जाएगा. जालंधर विधायक परगट सिंह को सिद्धू पहले ही महासचिव (संगठन) नियुक्त कर चुके हैं.
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न समुदायों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पंजाब कांग्रेस के विभिन्न फ्रंटल संगठनों के पुनर्निर्माण का प्रयास किया जाएगा. उनका सभी पीपीसीसी निकायों के साथ आने के लिए यह एक कड़ा कदम होगा. पीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी संगठनात्मक ढांचे को अंतिम रूप दिया था, लेकिन इसे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा कभी भी अनुमोदित नहीं किया गया था, भले ही पीपीसीसी की पिछली कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है, लेकिन तब से पार्टी राज्य में एक संगठनात्मक ढांचे के बिना रही है.

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