
जानिए अंगूठे की ओर से पितरों को जल क्यों चढ़ाते हैं?
इंडिया फर्स्ट |
आज (15 अगस्त) सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर 12 बजे तक है, इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी, जो कि अगले दिन यानी 16 अगस्त की 2 बजे तक रहेगी। अमावस्या से जुड़े अधिकतर धर्म-कर्म सुबह-सुबह ही किए जाते हैं, इस कारण 16 तारीख को अमावस्या मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, 16 तारीख को पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का दुर्लभ योग बन रहा है, क्योंकि सावन महीने में अधिक मास 19 साल बाद आया है और इस महीने की अमावस्या पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिल सकता है। हिन्दी पंचांग में हर तीन साल में एक बार अधिक मास आता है, इस नजरिए से भी ये अमावस्या खास है। जानिए इस शुभ योग में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
ऐसे करें पितरों के लिए धूप-ध्यान
अमावस्या की दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। इसके लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालना चाहिए। इस दौरान घर के पितरों का ध्यान करते रहना चाहिए। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से जल चढ़ाना चाहिए। ये पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की सरल विधि है।
पितरों के लिए अंगूठे की ओर से जल क्यों चढ़ाते हैं?
इस परंपरा का संबंध हस्तरेखा ज्योतिष से है। हस्तरेखा में हथेली के सभी भाग अलग-अलग ग्रहों और देवताओं से संबंधित माने गये हैं। जैसे इंडेक्स फिंगर के नीचे गुरु पर्वत होता है, मिडिल फिंगर के नीचे शनि पर्वत, रिंग फिंगर के नीचे सूर्य पर्वत, लिटिल फिंगर के नीचे बुध पर्वत, अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के दूसरी ओर चंद्र पर्वत होता है। गुरु पर्वत और शुक्र पर्वत के बीच पितरों का भाग माना जाता है। इसी वजह से हथेली के इस हिस्से से पितरों के जल चढ़ाने की परंपरा है। हथेली में पितरों के भाग से होते हुए जल अर्पित किया जाता है तो वह पितरों को मिलता है, ऐसी मान्यता है।
पितरों के लिए ये शुभ काम भी जरूर करें
- पितरों के लिए अमावस्या पर नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है। नदी में स्नान के बाद किनारे पर ही दान-पुण्य करें। नदी किनारे पितरों के लिए पिंडदान भी कर सकते हैं।
- अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही स्नान के बाद धूप-ध्यान करें। हथेली में जल लेकर तर्पण करें। घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं, अनाज, कपड़े, जरूरी चीजें दान करें।
- इस दिन पितरों के निमित्त गरुड़ पुराण का पाठ कर सकते हैं। आप चाहें तो भागवत कथा के कुछ अध्यायों का पाठ कर सकते हैं।
- किसी तालाब में मछिलयों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। indiafirst.online