
युवा राजनयिक ने अपना अधिकांश बचपन गोवा में बिताया और वहां अपनी पढ़ाई पूरी की.संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के वार्षिक सत्र में पाकिस्तान के नेताओं को करारा जवाब देने की भारत के युवा राजनयिकों की परंपरा को स्नेहा दुबे ने आगे बढ़ाया है। दुबे ने पूरी मजबूती से भारत का पक्ष रखा और इमरान खान के पाखंड को दुनिया के सामने रखा।

इंडिया फर्स्ट ब्यूरो। संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के वार्षिक सत्र में पाकिस्तान के नेताओं को करारा जवाब देने की भारत के युवा राजनयिकों की परंपरा को स्नेहा दुबे ने आगे बढ़ाया है। दुबे ने पूरी मजबूती से भारत का पक्ष रखा और इमरान खान के पाखंड को दुनिया के सामने रखा। भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी दुबे की सधे एवं तीखे भाषण के लिए सोशल मीडिया पर लोग उनकी सराहना कर रहे हैं। ट्विटर पर एक यूजर ने कहा, ‘इस महान राष्ट्र के प्रतिभाशाली, युवा, ऊर्जावान राजनयिक द्वारा किया गया उत्कृष्ट खंडन।’ एक अन्य यूजर ने कहा, ‘भारत की वीर राजनयिक.. शानदार।’
सैयद अकबरुद्दीन के कार्यकाल में शुरू हुआ था युवा राजनयिकों से जवाब दिलाने का चलन
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तानी नेताओं के संबोधन पर युवा भारतीय राजनयिकों से जवाब दिलाने का चलन शुरू हुआ था। इसका संदेश साफ था कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के नेताओं को जवाब देने के लिए भारत के युवा राजनयिक ही काफी हैं। सितंबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र में भारत की तत्कालीन प्रथम सचिव एनम गंभीर ने जवाब देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए उस समय के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को करारा जवाब दिया था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकी ओसामा बिन लादेन के एबटाबाद में पाए जाने का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान को आईना दिखाया था ।
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कौन हैं स्नेहा दुबे?
UNGA में विदेश मंत्रालय की प्रथम सचिव, स्नेहा 2012 बैच की IFS अधिकारी हैं, जिन्होंने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से एमफिल प्राप्त करने के बाद अपनी शिक्षा पूरी की. युवा राजनयिक ने अपना अधिकांश बचपन गोवा में बिताया और वहां अपनी पढ़ाई पूरी की. बहुत कम उम्र से, स्नेहा ने भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने की इच्छा जताई और वर्ष 2011 में अपने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की. स्नेहा अपने परिवार में सरकारी सेवाओं में शामिल होने वाली पहली हैं. वह कहती हैं कि विदेशी सेवाओं में शामिल होने की उनकी प्रेरणा अंतरराष्ट्रीय मामलों के बारे में सीखने, नई संस्कृतियों की खोज करने का रोमांच, महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों का हिस्सा बनने और लोगों की मदद करने का एक संयोजन था.
युवा भारतीय राजनयिक ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापने पर पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा, इस तरह के बयान देने वालों और झूठ बोलने वालों की सामूहिक तौर पर निंदा की जानी चाहिए. ऐसे लोग अपनी मानसिकता के कारण सहानुभूति के पात्र हैं.’’
दुबे ने कहा, हम सुनते आ रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार’ है. यह वह देश है जिसने खुद आग लगायी है और आग बुझाने वाले के रूप में खुद को पेश करता है. पाकिस्तान आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे केवल अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे. क्षेत्र और वास्तव में पूरी दुनिया को उनकी नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. दूसरी ओर, वे अपने देश में सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवादी कृत्यों के रूप में छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.’’
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