सुप्रीम कोर्ट ने संसद के इनॉग्रेशन पर याचिका नहीं सुनी

इंडिया फर्स्ट न्यूज़| नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्धाटन राष्ट्रपति से कराने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में दखल नहीं देगा, यह अदालत का विषय नहीं है, इस टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दी, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने मामले की सुनवाई की, कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं, संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं, लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है|

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के पास अधिकार है कि वह इस तरह की याचिका पर सुनवाई कर सकता है। किसी भी कानून के खिलाफ हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल हो सकती है और हाई कोर्ट को किसी भी कानून को निरस्त करने का अधिकार है। याचिकाकर्ता को ऐसे मामले में पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप किस तरह की याचिका लेकर आए हैं। आप एपिडेमिक ऐक्ट को चुनौती देने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट क्यों नहीं गए। याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप महाराष्ट्र में क्वारंटीन हुए और आप बता रहे हैं कि परेशानी हुई तो ऐक्ट के खिलाफ क्या सीधे सुप्रीम कोर्ट आएंगे।

देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं, सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं, याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं, अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं, संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं, इसलिए राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए|

नए संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। संसद राष्ट्रपति और संसद के दोनों सदनों से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति के पास संसद बुलाने और उसे खत्म करने की शक्ति है। प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों की नियुक्ति करता है और सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर ही किए जाते हैं। लोकसभा सचिवालय ने मनमाने तरीके से बिना सोचे-समझे आदेश जारी कर दिया है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन के इनॉग्रेशन में आमंत्रित ना करना संविधान का उल्लंघन है। राष्ट्रपति को कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और सैन्य शक्तियां भी प्राप्त हैं।”

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का ये कहना कि केंद्रीय कानून के खिलाफ हाई कोर्ट को अधिकार नहीं है। यह बिल्कुल गलत धारणा पर आधारित है। हाई कोर्ट के पास ऐसे मामले में पूरा अधिकार है कि वह केंद्रीय कानून को निरस्त कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं। तब याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।

 

 indiafirst.online

 

Comments are closed.

Check Also

Blackjack High Suggestions, Dealer Tells & Tournament Strategies

Set a complete bankroll and a session bankroll that you’ll take with you for individual pl…