
इंडिया फ़र्स्ट ।
कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व है। मान्यताओं के अनुसार साल भर पूजन करने से जितना फल मिलता है। उससे कई अधिक फल कार्तिक मास में पूजा-अर्चना करने से मिलता है। शास्त्रों के अनुसार हर साल कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की एकादशी पर चातुर्मास के बाद भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। उस दिन श्रीहरि स्वरूप शालिग्राम से तुलसी का विवाह किया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार योगनिद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले माता तुलसी की आवाज सुनते हैं। तुलसी विवाह के दिन पूजा में मंगलाष्टक का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से माता तुलसी की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं की कैसे करें भगवान शालिग्राम और तुलसीजी का विवाह।
तुलसी के पौधे के गमले के बाहर हिस्से को फूलों से सजाएं। गमले के चारों तरफ गन्ने गाड़कर मंडप बनाएं। इसके बाद तुलसी जी के ये मंत्र पढ़ें –
01- तुलसी के पूजन में इन मंत्रों का उच्चारण करें : (ॐ सुभद्राय नमः, ॐ सुप्रभाय नमः)
02- तुलसी दल तोड़ने का मंत्र: (मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते)
03- रोग मुक्ति का मंत्र (महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते)
04- तुलसी स्तुति का मंत्र (देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः, नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये)
अथ तुलसी मंगलाष्क मंत्र
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः। चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः ।
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