#UJJAIN। 15 करोड़ जेल से गबन – जांच चल रही या मज़ाक !!

उमेश चौहान ✍🏻✍🏻

इंडिया फर्स्ट। उज्जैन ।
भैरवगढ़ जेल के गबन कांड में एसआईटी द्वारा की गई अब तक कि जांच फिसड्डी साबित हुई है, 15 करोड़ से अधिक के इस घोटाले में भैरवगढ़ पुलिस और एसआईटी अब तक मात्र 3 करोड़ की रिकवरी कर पाई है और वह भी सोने, चांदी और प्रॉपर्टी के रूप में, नगद राशि के नाम पर उसके हाथ 2-5 लाख की चिल्लर ही लग पाई है जबकि जगदीश परमार ने चिल्ला चिल्लाकर प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से बताया था कि गबन का पैसा कहां और किसके पास किस रूप में गया है, यदि प्रेस कांफ्रेंस में बताई गई बात या नाम झूठे भी है तो असली नाम कहाँ है, असली माल कहाँ है ?

यह सवाल शहर की जनता, मीडिया और जेल प्रहरी विगत 15-20 दिनों से उज्जैन पुलिस से पूछ रहे है लेकिन एसआईटी प्रभारी एएसपी बाकलवाल और सीएसपी मौर्य की जुबान से सिर्फ एक ही शब्द निकलता है , जांच चल रही है । आखिर ये कैसी जांच है जो इतनी गोपनीयता से चल रही है कि आरोपी 13 दिन की पुलिस रिमांड कर जेल चले जाते है और उनसे न तो कोई बड़ा खुलासा होता है और न ही कोई बड़ी जब्ती, सिर्फ जेल अधीक्षक के लॉकर से 3 किलो सोना और 3 किलो चांदी बरामद कर पुलिस खुद की पीठ थपथपा रही है बाकी गुनाहगारों से 1 हजार, 10 हजार, सवा लाख, दो लाख जैसी सामान्य राशि बरामद करके उन्हें जेल भेज दिया जाता है कुख्यात सटोरियों से महज 1 हजार और 10 हजार की जब्ती दिखाई जाती है ।

जांच कर रहे है या मज़ाक …??

शुक्रवार को नवागत एसपी सचिन शर्मा द्वारा अपने कार्यकाल की पहली प्रेस कांफ्रेंस ली जाती है, सबको उम्मीद थी कि नवागत पुलिस अधीक्षक कुछ ऐसा खुलासा और जब्ती बताएंगे कि शहर में उनके नाम और काम के चर्चे हो जाये लेकिन पुरी प्रेस कांफ्रेंस मजाक बनकर रह गई, न तो पुलिस अधीक्षक और न एसआईटी प्रभारी और न भैरवगढ़ थाना पुलिस ने ऐसा कोई खुलासा किया और न बरामदगी उल्टा पत्रकारो के सवालों पर बौखलाहट नजर आई, एसएसपी बाकलवाल तो पत्रकारों पर चिढ़ने लगे जैसे उनसे कोई व्यक्तिगत जीवन का सवाल पूछ लिया हो, एसपी सचिन शर्मा भी नही बता पाए कि आखिर गबन का पैसा कहां और किनके पास गया है, एसपी शर्मा तो मानो आरोपियों के बचाव में बयान जारी कर रहे थे कि पैसा लेने के पीछे पहले लेने वाले कि मंशा देखी जाएगी उसके बाद कार्यवाही करेंगे, अरे माननीय अधीक्षक महोदय अगर किसी ने सरकारी पैसा अपने खाते में डलवाया है और उसमें से कुछ राशि रखकर शेष राशि नगद रूप में रिपदुमन और जेल अधीक्षक को दी है तो क्या उसकी मंशा स्पष्ट नही है ?

जिन लोगो ने रिपदुमन या अन्य से गबन के पैसे लिए है और उसे नगद करके लौटाया है तो क्या उनकी मंशा स्पष्ट नही है ? जो लोग मेडम के बंगले से सुटकेश भरकर नगद पैसा ले गए है और उसे व्यापार में लगा रहे है तो क्या उनसे रिकवरी नही करोगे ? जिन लोगो के नाम सामने आ रहे है क्या उनसे पूछताछ भी नही करोगे ? फिर जांच किस चीज की कर रहे हो यही बता देते तो हम संतुष्ट हो जाते लेकिन आपने तो जांच को दूसरी दिशा में मोड़ दिया और आरोपियों को एक तरह से क्लीनचिट ही दे डाली । सूत्रों का कहना है कि सुटकेश भरकर जो पैसा भैरवगढ़ बंगले से गया है वो भैरवगढ़ थाने की तरफ पहुंच रहा है जिसे डोरीमोन की शक्ल वाले एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ठिकाने लगाया जा रहा है वहीं केस को भी कमजोर बनाया जा रहा है । शर्म करो कम से कम अपने अधीनस्थों को तो इंसाफ दिलवा दो, आपके इस प्रकार की जांच से आमजन का भरोसा आपसे उठ रहा है, मोदी जी ने कहा था आपदा को अवसर बनाया जाए लेकिन इस तरह से बनाया जाएगा ये नही पता था ।
indiafirst.online

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