
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों की तैयारियों के बीच, भारतीय जनता पार्टी की उस समय बड़ी किरकिरी हो गई जब, इंदौर, भोपाल जैसे बड़े शहरो में कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के लोगो को टिकिट बांट दिये गये। इस मामले में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नाराज़गी जताये जाने के बाद, पार्टी संगठन ने, ऐसे कई घोषित प्रत्याशियों के नाम काट दिये। इसीके साथ मप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि पार्टी में किसी भी अपराधिक प्रवृत्ति के लोगो के लिये कोई जगह नही । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने ये भी कहा कि पार्टी द्वारा घोषित किसी भी अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ, कोई भी पार्टी कार्यकर्ता अगर नामांकन भरता है तो उसके खिलाफ पार्टी के संवैधानिक नियमों के तहत कार्यवाही की जायेगी।
अपराधिक प्रवृत्ति के लोगो को आख़िर टिकिट बंटे कैसे, संगठन से कैसे हुई चूक
बड़ा सवाल ये है कि, आख़िर भारतीय जनता पार्टी संगठन से इतनी बड़ी चूक हो कैसे गई। भाजपा में मंडल और बूथ स्तर पर जो संगठन का स्ट्रैक्चर है उसमें गलती की गुंजाईश ना के बराबर रहती है। फिर जिन अपराधिक प्रवृत्ति के लोगो को टिकिट बांट दिये गये उनके बारे में जनता और मीडिया सबको जानकारी थी…लेकिन भाजपा संगठन को क्यों नही ? ऐसा जान पड़ता है कि भाजपा में क्षत्रपवाद अब अपनी जड़े जमाता जा रहा है और एक दूसरे के समर्थकों के मामले में दूसरे हस्तक्षेप नही करेंगे ऐसा अघोषित तंत्र विकसित हो चुका है। हैरानी होती है कि पार्टी के बड़े बड़े नेताओं और खुद को कार्यकर्ताओं से लगातार जुड़े हुए बताने वाले नेता और संगठन पदाधिकारी आख़िर कर क्या रहे है। हालांकि इस भूल को जल्द सुधारकर भाजपा संगठन ने अब भी अपनी परंपरा के जीवित होने का अहसास करा दिया है लेकिन आने वाले दिनों में अगर ये ग़लती दोहराई जाती है तो इससे पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का मनोबल जरुर गिरेगा और इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों में भी उठाना पड़ सकता है। indiafirst.online