छ्त्तीसगढ़ के बिलासपुर के एक बालगृह से सत्ताईस बच्चेे गायब होने का सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है। इस मामले में बालगृह प्रबंंधन ने महज़ पुलिस को सूचना देकर…मामले पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि सूत्रो की माने तो इन बच्चो के मानव तस्करो के चंगुल में फंसे होने की आशंका है। देखिये, सरकार से लाखो रुपए का अनुदान लेकर, बच्चो की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने वालो को बेनक़ाब करती…इंडिया फर्स्ट की ये पड़ताल।
तस्वीर एक के बाद एक …क्लिक साउंड के साथ…ये है बिलासपुर की मां डिण्डेश्वरी समिति बालगृह। इन तस्वीरो को देखकर, आप यहां की बदइंतज़ामी और यहां रहने वाले अनाथ बच्चो की बदहाली का अंदाज़ा खुद ही लगा सकते है। लेकिन, अब इंडिया फर्स्ट जो खुलासा करने जा रहा है …उसे देखकर आप चौक जायेंगे। इंडिया फर्स्ट के हाथ लगे इन दस्तावेज़ो से खुलासा होता है कि…पिछले करीब दो सालो में ..इस बालगृह से कोई एक दो नही…बल्कि सत्ताईस बच्चे गायब हो चुके है। गायब हुए बच्चो की उम्र ग्यारह से पन्द्रह साल के बीच है।हाल ही में, CARA की टीम ने, इस बालगृह का निरीक्षण किया, तो उन्हे भी यहां कई गंभीर अनियमितता पाई । इस अकेले बालगृह को करीब छत्तीस लाख रुपए सालाना सरकारी अनुदान मिलता है। बड़ा सवाल ये कि…
इंडिया फर्स्ट सवाल —
(1) छग महिला और बाल विकास विभाग ने मॉनिटरिंग क्यों नही की ?
(2) गायब हुए बच्चो की FIR क्यों अब तक दर्ज नही कराई गई?
(3) क्या अनुदान की आड़ में, कमीशनख़ोरी चल रही है ?
(4) ऐसे कितने बालगृह में, अनुदान का ये खेल चल रहा है ?
अनुदान का ये खेल, बिना सरकारी मिलीभगत के नही खेला जा सकता । लेकिन उससे भी बड़ा सवाल ये , कि आख़िर गायब हुए बच्चे गये कहां ? बिना FIR दर्ज कराये, कैसे इन बच्चो को ढूढने के प्रयास किये जा रहे होंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की इसी उदासीनता के चलते, राज्य, मानव तस्करी का अड्डा बन चुका है। इंडिया फर्स्ट की पड़ताल लगातार जारी रहेगी। LOG ON करे INDIAFIRST. ONLINE पर। नमस्कार ।
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