शाजापुर:प्रेमिका और उसके पिता को गोली मारने वाले कॉन्स्टेबल की सुसाइड की कहानी

इंडिया फर्स्ट

गले में S नाम का पेंडल, सीने पर शिवानी-सुभाष

जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित बेरछा गांव में रविवार देर रात एक बजे के लगभग घर में घुसकर प्रेमिका तथा उसके पिता को गोली मारने वाले आरोपी आरक्षक ने वारदात के बाद आत्महत्या कर ली है। सोमवार सुबह उसका शव रेल पटरी पर पाया गया है।
बेरछा में रविवार देर रात हुई सनसनीखेज घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटना में गंभीर रूप से घायल प्रेमिका, उसके पिता और भाई को जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां प्रेमिका के पिता की मौत हो गई, जबकि प्रेमिका को गंभीर स्थिति में इंदौर रेफर किया गया है। प्रेमिका के भाई को कुछ छर्रे लगे हैं। इधर, पुलिस घटना के आरोपी पुलिस आरक्षक सुभाष पिता मायाराम खराड़ी को तलाश कर रही थी, इसी दौरान सोमवार सुबह उसका शव रेल पटरी पर पाया गया। माना जा रहा है कि घटना के बाद उसने किसी ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या की है।

प्रेमिका और उसके पिता को गोली मारने वाले कॉन्स्टेबल का खूनी खेल और सुसाइड की कहानी

इस पर शिवानी के पिता जाकिर खान ने कहा कि शादी नहीं हो सकती है। तुम मेरे घर से निकल जाओ। नहीं तो मैं पुलिस बुला लूंगा। यह बात सुन सुभाष तैश में आ गया। उसने साथ लेकर आई पिस्टल शिवानी की कनपटी पर अड़ा दी। यह देख पिता आगे बढ़े तो उसने फायर कर दिया। जो उनके चेहर पर लगा। शिवानी दौड़ी तो आरोपी ने एक और फायर किया जो प्रेमिका के बाएं कंधे पर लगा। शोर शराबे से जागा भाई दोनों को बचाने दौड़ा, तो आरोपी ने एक और फायर किया। भाई की झुकने से जान बच गई। भाई ने आरोपी को पकड़ा तो उसने साथ लेकर आए स्प्रे को उसके चेहरे पर छिड़क दिया।घर से बाहर निकलकर वह अपनी एक्टिवा से भाग निकला। लोगों ने पीछा किया तो गली में एक्टिवा छोड़ अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गया।

यहां से निकलकर सुभाष ने रात 1 बजकर 27 मिनट पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। जिसमें उसने शिवानी के साथ अपनी 3 तस्वीरें शेयर की और लिखा- ‘प्यार में धोखा इसलिए ठोका, उसको तो ऐसा दर्द दिया है जो वो कभी नहीं भूल पाएगी’।इस पोस्ट के बाद वह बेरछा स्टेशन से 3 किलोमीटर भोपाल उज्जैन रेल मार्ग पर पहुंचा और ट्रेन के सामने कूद गया। सोमवार सुबह उसका शव पटरी पर पड़ा मिला। इधर, घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। तीनों को जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टरों ने शिवानी के पिता जाकिर खान को मृत घोषित कर दिया। जबकि शिवानी को गंभीर हालत में इंदौर रेफर कर दिया गया। मामूली चोट के कारण भाई पिता का शव लेकर परिजनों के साथ गांव लौट गया।

 

शाम 5 बजे तक ड्यूटी, फिर 75 km दूर प्रेमिका के घर पहुंचा

जब आरक्षक सुभाष को यह लगने लगा कि अब उसकी प्रेमिका शिवानी का उसकी जिंदगी में आना नामुमकिन है तो उसने आखिरी बार उसे मनाने का प्लान बनाया। उसने यह भी सोच रखा कि अगर वह नहीं मानी तो उसे मारकर खुद भी जान दे देगा। उसने पहले ही एक देसी कट्‌टा खरीद रखा था। जिसे वह अपनी स्कूटी में रखता था। पहले से बनाए गए प्लान के तहत उसने रविवार को शाम 5 बजे तक देवास में ड्यूटी की।इसके बाद उसने देवास से ही करीब 14 फीट ऊंचाई पर चढ़ने लायक फोल्डिंग सीढ़ी खरीदी। क्योंकि उसे मालूम था कि शिवानी दो मंजिला मकान के सेकंड फ्लोर पर बने कमरे में रहती थी। इस सीढ़ी को वह स्कूटी पर सामने रखकर 75 किलोमीटर दूर शाजापुर के बेरछा के लिए निकल पड़ा। यहां करीब रात 8 बजे पहुंचा। पहले वह शिवानी के घर के चक्कर काट आया। जहां उसने देखा कि अभी घर के सभी सदस्य जाग रहे हैं।उसने करीब 4 घंटे इंतजार किया। इसके बाद उसने घर के बाहर स्कूटी खड़ी की। सीढ़ी निकाली और ऊपर चढ़ गया। गर्मी के कारण बालकनी का दरवाजा खुला था। अंदर दाखिल होकर सुभाष ने शिवानी को जगाया और उसका आखिरी फैसला पूछा। तभी आवाज सुनकर शिवानी के पिता कमरे में आ गए और बहस शुरू हो गई।

गैर मजहब में शादी नहीं करना चाहती थी प्रेमिका

पिता की मौत के बाद सुभाष खराड़ी ने अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर ड्यूटी जॉइन की थी। देवास में आरक्षक के पद पर पोस्टिंग के दौरान वह शिवानी से मिला। दोस्ती के बाद उनमें प्यार हो गया। दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे। वे शादी के सपने भी देख रहे थे। लेकिन, एक दिन उनके प्यार की भनक शिवानी के परिजनों को लग गई। उन्होंने शिवानी से इस बारे में पूछा, तो उसने कह दिया कि वह सुभाष को पसंद करती है। शादी करना चाहती है।लेकिन, शिवानी के पिता जाकिर खान ने यह कहते हुए बेटी को उससे दूर रहने के लिए कह दिया कि वे उसकी शादी दूसरे मजहब में नहीं करेंगे। पिता का फैसला शिवानी ने सुभाष को बता दिया, और उसने मिलना जुलना कम कर दिया। उसने साफ कह दिया कि वह अपने परिवार के खिलाफ नहीं जा सकती हूं। हमारी शादी नहीं हो सकती है। कोशिश करो कि मुझसे दूर हो जाओ।कुछ वक्त बाद शिवानी ने सुभाष से बातचीत भी बंद कर दी थी। यह बात सुभाष को नागवार गुजरी। वह कई बार शिवानी को शादी के लिए राजी करने की कोशिश कर चुका था। इसके बाद रविवार रात वह शिवानी के घर बेरछा पहुंचा जहां उसने कहा कि मैं आखिरी बार समझा रहा हूं। तुम सिर्फ मेरी होगी। अगर मेरी नहीं हुई तो उसे किसी और का भी नहीं होने दूंगा।

FIR में जिक्र- बहन को जबरन ले जा रहा

मामले में फरियादी राज पिता जाकिर शेख (21) निवासी बेरछा गांव हाल मालीखेड़ी ने थाने आकर मौखिक रिपोर्ट में बताया कि 21 मई को मैं और पापा जाकिर, मम्मी, बहन शिवानी उर्फ छोटू खाना खाकर पहली मंजिल पर बने कमरों में 11.00 बजे सो गए। घर के नीचे का दरवाजा बंद था। गर्मी के कारण ऊपर की बालकनी का दरवाजा खुला था। तभी रात 12.45 बजे शोर शराबे की आवाज आई।मैं अपने कमरे से निकला तो देखा तो नीचे की सीढ़ी के पास का मेन दरवाजे पर सुभाष पिता मायाराम खराड़ी मेरे पापा-मम्मी और बहन शिवानी से बहस कर रहा था। वह शिवानी को पिस्टल अड़ाकर ले जाने लगा। इस पर मैं भी नीचे उतर कर सीढ़ियों से नीचे आया। तभी सुभाष ने पापा को जान से मारने की नीयत से पिस्टल चला दी। गोली मेरे पापा के मुंह पर लगी। उसने दूसरी गोली बहन पर चलाई, जो उसके उल्टे हाथ के कंधे पर लगी। तीसरी गोली मेरे पर चलाई, मैं झुक गया। गोली लगते ही पापा और बहन नीचे गिर गए।मैंने उसे पकड़ने की कोशिश की। जिस पर पिस्टल सुभाष के हाथ से नीचे गिर गई। हम दोनों में हाथापाई होने लगी। तभी उसने बचने के लिए मुझ पर स्प्रे किया। जिससे मेरी आंखों में जलन शुरू हो गई। मौका मिलते ही उसने मुझपर हमला किया और भाग निकला। मैं मदद के लिए चिल्लाया तो पड़ोसी अमजद पिता साबिर व बबलू पिता साबिर, अनवर खां सुभाष को पकड़ने उसके पीछे दौड़े। उसे पकड़ लिया था तभी सुभाष ने उन पर भी स्प्रे छिड़क दिया, और धक्का देकर भाग गया।बाहर आया तो मेरे घर की गैलरी पर फोल्डिंग वाली सीढ़ी लगी थी। सुभाष इसी सीढ़ी से घर के पहले माले पर पहुंचा था। सुभाष अपनी स्कूटी न. MP 09-ZH-0113 और बैग को गली में छोड़कर भागा था। पापा और बहन को पड़ोसी की गाड़ी से जिला अस्पताल शाजापुर लेकर गए। जहां इलाज के दौरान पिता की मौत हो गई। बहन की हालत गंभीर होने पर उसे इंदौर रेफर कर दिया।

प्रेमिका के पिता की हत्या कर खुद भी आत्महत्या करने वाला सुभाष खराड़ी देवास डीएसपी किरण कुमार शर्मा का सरकारी वाहन चलाता था। रविवार शाम को भी उसने 5 बजे तक ड्यूटी की थी। उसका एक भाई होमगार्ड विभाग में कार्यरत है। वह आगर जिले में पदस्थ है। देवास में अपनी मां के साथ रहता है। सुभाष के पिता मायाराम खराड़ी पुलिस विभाग में एसआई के पद पर 8 साल पहले बेरछा थाने में पदस्थ थे। पिता की मौत के बाद सुभाष को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई। फिलहाल उसकी पोस्टिंग देवास जिले में आरक्षक पद पर थी।indiafirst.online

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