
इंडिया फर्स्ट। नांदेड़।
महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में कल देर रात सात और मरीजों की मौत हो गई। इनमें चार बच्चे बताए जा रहे हैं। बीते दिन खबर आई थी कि अस्पताल में 24 घंटे में 24 लोगों की मौत हो गई थी। 48 घंटों के बाद डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है। इन 31 मरीजों में से 16 बच्चे थे। इसके बाद से राज्य में हाहाकार मचा हुआ है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कही यह बात
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि हम पूरी जांच करेंगे। मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को इस संबंध में जानकारी दी है। मैं अस्पताल का दौरा करूंगा और डॉक्टरों की एक समिति भी बनाई जाएगी।
ऐसे हुआ अस्पताल के कारनामे का पर्दाफाश
शोकाकुल परिवार ने भारी मन से अंकलेश पवार का अंतिम संस्कार भी कर दिया. लेकिन 25 अप्रैल को अस्पताल द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र पर जब उनकी नजरें गईं तो वे हैरान रह गए. प्रमाण पत्र में अंकलेश पवार की मृत्यु की तारीख 21 अप्रैल और समय रात के 11 बजे का लिखा था. प्रमाण पत्र में अंकलेश की मृत्यु का कारण कोविड संक्रमण को बताया गया था. यानी अंकलेश पवार की मृत्यु होने के बाद भी अस्पताल शुभांगी को यह झूठ बोलकर कि इलाज शुरू है, पैसे ऐंठता रहा.
दवाई की कमी मौत की वजह!
इस मामले में अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. श्यामराव वाकोड़े ने कहा था, “पिछले 24 घंटों में लगभग 12 बच्चों की मौत हो गई…12 वयस्कों की भी विभिन्न बीमारियों (सांप के काटने, आर्सेनिक और फास्फोरस विषाक्तता आदि) के कारण मृत्यु हो गई। विभिन्न कर्मचारियों के स्थानांतरण के कारण, हमारे लिए कुछ कठिनाई हुई…हमे हाफकिन इंस्टीट्यूट से दवाएं खरीदनी थीं लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) जिले से तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जिसे मंगलवार तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
80 किमी के दायरे में केवल एक अस्पताल
अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल केवल एक देखभाल केंद्र है, लेकिन मरीज विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं क्योंकि यह 70-80 किमी के दायरे में एकमात्र स्वास्थ्य देखभाल केंद्र है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या कभी-कभी संस्थान के बजट से अधिक हो जाती है और इसीलिए दवाओं की कमी होती है। इसके अलावा यह विशेष रूप से कठिन था क्योंकि कई अस्पताल कर्मचारियों को ट्रांसफर कर दिया गया था।
डीन ने बताया कि अस्पताल को हाफकिन नामक संस्थान से दवाएं खरीदनी थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मरीजों को स्थानीय दुकानों से दवाएं खरीदकर दी गईं।
विपक्ष ने शिंदे सरकार पर साधा निशाना
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रवक्ता विकास लवांडे ने X पर एक पोस्ट में कहा, “नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 12 नवजात शिशुओं सहित 24 मौतें न केवल आपूर्ति की कमी के कारण हुईं। त्योहारों और आयोजनों का विज्ञापन करने वाली सरकार को शर्म आनी चाहिए।”
शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना की और कहा, “कृपया उन्हें मौत न कहें, यह असंवैधानिक राज्य सरकार की ओर से पूर्ण लापरवाही के कारण हत्या है।” उन्होंने राज्य सरकार पर प्रभावशाली कार्यक्रमों या विदेशी यात्राओं की योजना बनाने में व्यस्त होने का आरोप लगाया और कहा कि वे भूल गए हैं कि उनका मूल काम राज्य की सेवा करना है।