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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुरुवार को ‘आत्मनिर्भर नारी-शक्ति से संवाद’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े महिला और स्व-सहायता समूहों की महिला सदस्यों से बातचीत भी की। बातचीत खत्म होने के बाद उन्होंने अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जिस प्रकार से हमारी बहनों ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से देशवासियों की सेवा की वो अभूतपूर्व है। मास्क और सेनेटाइजर बनाना हो, जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाना हो, जागरूकता का काम हो, हर प्रकार से आपकी सखी समूहों का योगदान अतुलनीय रहा है।
महिलाओं को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि पहले अधिकांश महिलाएं पैसे को रसोई के डिब्बे में रखती थीं लेकिन जब हमारी सरकार आई तो हमने देखा कि देश की करोड़ों बहनें ऐसी थीं जिनके पास बैंक खाता तक नहीं था, जो बैंकिंग सिस्टम से कोसों दूर थीं। इसलिए हमने सबसे पहले जनधन खाते खोलने का बहुत बड़ा अभियान शुरू किया। पीएम मोदी ने कहा कि 42 करोड़ से अधिक जन धन बैंक खाते हैं, जिनमें से 55 फीसदी महिलाओं के पास हैं। इन खातों में हजारों करोड़ हैं। हमने न सिर्फ बैंक खाते खोले, बल्कि कर्ज भी आसान किया।
स्वयं सहायता समूहों को अब 20 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को और अधिक प्रेरित करने के लिए उन्हें अब 20 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा। पहले इसकी सीमा 10 लाख रुपये तक ही थी।
खिलौनों के क्षेत्र में आदिवासी महिलाओं का विशेष योगदान
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में बने खिलौनों को भी सरकार बहुत प्रोत्साहित कर रही है, इसके लिए हर संभव मदद भी दे रही है। विशेष रूप से हमारे आदिवासी क्षेत्रों की बहनें तो पारंपरिक रूप से इससे जुड़ी हैं। इसमें भी स्वयं सहायता समूह के लिए बहुत संभावनाएं हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्ति के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की दोहरी भूमिका
पीएम मोदी ने कहा कि आज देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का अभी अभियान चल रहा है। इसमें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की दोहरी भूमिका है। आपको सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर जागरूकता भी बढ़ानी है और इसके विकल्प के लिए भी काम करना है।
पिछले 6-7 सालों में स्वयं सहायता समूहों में तीन गुना बहनों की भागीदारी सुनिश्चित
पीएम ने कहा कि आज देशभर में लगभग 70 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे लगभग 8 करोड़ बहनें जुड़ी है। पिछले 6-7 सालों के दौरान स्वयं सहायता समूहों में तीन गुना बहनों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है।