
फाल्गुनी सीटी एमआरआई एजेंसी पर मरीजों की समय पर जांच नहीं करने का आरोप, 20 लाख के बिल रोक डीन ने जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित की
आयुष्मान योजना के तहत मरीजों की मुफ्त सीटी-एमआरआई की जांच गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में समय पर नहीं हो पा रही है। इस संबंध में शिकायत के बाद जीएमसी प्रबंधन ने पीपीपी मॉडल पर संचालित फाल्गुनी सीटी एमआरआई एजेंसी के 20 लाख रुपए के भुगतान पर रोक लगा दी। साथ ही दो सदस्यीय जांच कमेटी सर्जरी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. योगेश चौधरी और दंत चिकित्सा विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. अनुज भार्गव की गठित की है। कमेटी को 7 दिनों में जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है।
गांधी मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2017 से फाल्गुनी सीटी-एमआरआई एजेंसी पीपीपी मॉडल पर कार्य कर रही है। अस्पताल में एक महीने में 600 से 700 सीटी स्कैन होते है। इसके अलावा 500 के करीब एमआरआई की जांच होती है। एमआरआई की जांच में मरीजों के इंतजार करने की शिकायत है। दररअसल एक एमआरआर मशीन से प्रतिदिन करीब 20 एमआरआई जांच की जा रही है। यहां पर करीब 5 से 10 मरीजों की रोजाना पेंडेंसी की बबात सामने आ रही है।
कॉलेज के डीन डॉ. जितेन शुक्ला ने बताया कि फाल्गुनी सीटी-एमआरआई एजेंसी पर सेवा शर्तों के उल्लंघन के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है। इसमें आयुष्मान योजना के हितग्राहियों का सीटी-एमआरआई के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के बावजूद सेवा समय पर उपलब्ध कराने में लेटतलीफी की जा रही है। इसकी जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित की है
इस मामले में फाल्गुनी सीटी-एमआरआई एजेंसी का पक्ष लेने कॉल किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।