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पाकिस्तान में मंदिरों में तोड़-फोड़ और अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे अत्याचार के खिलाफ हिन्दू समाज ने हल्ला बोल दिया है। इस दौरान कराची में जमकर जय श्रीराम और हर-हर महादेव के नारे गूंजे।रविवार को कराची प्रेस क्लब के बाहर हुए इस प्रदर्शन में हिन्दू समुदाय के अलावा भारी संख्या में सिख, ईसाई, पारसी और अन्य समाज के लोग भी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों के हाथों में भगवा झंडा भी लहरा रहा था। इतना ही नहीं, विरोध कर रहे लोगों के हाथों में तख्तियां भी थीं, जिस पर ‘वी वांट जस्टिस’ लिखा हुआ था।
कराची के हनुमान मंदिर के पुजारी ने की सजा-ए-मौत की मांग
प्रदर्शन में कराची के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी रामनाथ मिश्र महाराज भी शामिल हुए। मिश्र ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि रहीम यार खान में गुंडों द्वारा गणेश मंदिर में की गई तोड़-फोड़ निंदनीय है।पाकिस्तान में जिस तरह से इस्लाम धर्म के खिलाफ कोई बुरा कहता या करता है तो उसे सजा-ए-मौत या उम्र कैद की सजा दी जाती है, उसी तरह से अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों का अपमान करने वाले लोगों को भी सजा मिलनी चाहिए। स्कूलों में भी बच्चों की किताबों में हिन्दुओं के खिलाफ आपत्तिजनक बातें पढ़ाई जा रही हैं।मिश्र ने आगे कहा कि पाकिस्तान में हिन्दू और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जुल्म और अत्याचार की इंतहा हो गई है। हमारी मांग है कि सरकार इस पर जल्द और सख्त एक्शन ले।
अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे हमले
पाकिस्तान में हाल के दिनों में कट्टरपंथियों के हमले बढ़ गए हैं। खासतौर पर कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान हिन्दू लड़कियों के अपहरण की वारदातें आम हो गई हैं। लड़कियों को अगवा कर कट्टरपंथी दोगुने से भी ज्यादा उम्र के मुसलमानों से जबरन उनकी शादी करवा देते हैं। जुबान खोलने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं।
1947 में पाकिस्तान में थे 428 बड़े मंदिर
ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट के एक सर्वे के मुताबिक बंटवारे के वक्त पड़ोसी देश में कुल 428 बड़े मंदिर थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई। मंदिरों की जमीनों पर कब्जा कर लिया गया और वहां दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए। आज आलम ये है कि यहां सिर्फ 20 बड़े मंदिर बचे हैं।
3 फीसदी से भी कम बचे हैं हिंदू
बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 15 फीसदी थी। हुकूमत की दमनकारी नीतियों और कट्टरपंथियों के हमलों से यह आंकड़ा लगातार कम होता चला गया। जबरन धर्म परिवर्तन इसकी सबसे बड़ी वजह रही है। जो हिन्दू बचे हैं, उन्हें लगातार कट्टरपंथियों के हमले झेलने पड़ रहे हैं। आज स्थिति यह है कि यहां 3 फीसदी से भी कम हिन्दू आबादी बची है।